
मिथिला पेंटिंग के नाम से जानी जाती है मधुबनी कला, जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें
क्या है खबर?
मिथिला पेंटिंग के नाम से मशहूर मधुबनी कला बिहार की एक पारंपरिक चित्रकला है। यह कला मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है और इसे महिलाओं द्वारा बनाया जाता है।
मधुबनी कला में जानवरों, पेड़-पौधों और देवी-देवताओं के चित्र बनते हैं।
इस लेख में हम आपको इस कला से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां देंगे, जिससे आप इस कला के बारे में अधिक जान सकें और इसकी सुंदरता को समझ सकें।
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मधुबनी कला का इतिहास और शुरुआत
मधुबनी कला का इतिहास बहुत पुराने समय से जुड़ा हुआ है। यह कला मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र के धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी हुई है।
ऐसा माना जाता है कि यह कला मिथिला क्षेत्र की महिलाओं द्वारा अपने विवाह के समय घर की दीवारों पर बनाई जाती थी।
समय के साथ यह कला बढ़ी और अब इसे कागज पर भी बनाया जाता है। मधुबनी कला में जानवरों, पेड़-पौधों और देवी-देवताओं के चित्र बनते हैं।
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मधुबनी कला की खासियत
मधुबनी कला की खासियत इसे अन्य चित्रकलाओं से अलग बनाती है। इसमें जानवरों, पेड़-पौधों और देवी-देवताओं के चित्र बहुत ही चमकीले रंगों और मोटे काले रेखाओं से बनाए जाते हैं।
इस कला में प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है, जैसे हरी पत्तियों से हरा रंग, लाल फूलों से लाल रंग आदि।
इसके अलावा इस कला में हिंदू धर्म से जुड़े विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र भी बनाए जाते हैं, जैसे रामायण और महाभारत से जुड़े दृश्य।
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मधुबनी कला के प्रकार
मधुबनी कला मुख्य रूप से दो प्रकार (बिहारी और काचनी) की होती है।
बिहारी शैली में मोटे काले रेखाओं का उपयोग होता है, जबकि काचनी शैली में पतली रेखाओं का उपयोग करके रंग भरे जाते हैं। इसके अलावा मधुबनी कला में कई अन्य उपशैलियां भी होती हैं, जैसे तोहर, नागर, मौर्य आदि।
हर उपशैली की अपनी खासियत होती है, जो इसे अनोखा बनाती है। इन सभी शैलियों में पारंपरिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
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मधुबनी कला का महत्व
मधुबनी कला न केवल एक पारंपरिक चित्रकला है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है।
यह कला स्थानीय महिलाओं के लिए काम का जरिया भी बन चुकी है। आजकल मधुबनी कला दुनिया भर में मशहूर हो रही है और इसके कलाकार भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। म
धुबनी कला को बचाए रखना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर का ज्ञान मिल सके और वे इसे आगे बढ़ा सकें।
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आधुनिक युग में मधुबनी कला का स्थान
आधुनिक युग में मधुबनी कला ने नया मुकाम हासिल किया है। अब इसे न केवल पारंपरिक कपड़ों बल्कि घर की सजावट, दीवारों पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
कई डिजाइनर इस कला को अपने संग्रह में शामिल कर रहे हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ रही है।
मधुबनी कला की अनोखी विशेषताएं इसे दुनिया भर में अलग पहचान दिलाती हैं और यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती है।