
भारत की ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
ब्लॉक प्रिंटिंग एक पुरानी कला है, जो भारत में खासकर राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में लोकप्रिय है।
इस तकनीक में लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग करके कपड़ों पर सुंदर डिजाइन बनाई जाती हैं। यह प्रक्रिया मेहनत और कला का अनूठा मेल है।
इस लेख में हम इस कला की खासियतों और इसके महत्व के बारे में जानेंगे ताकि अगली बार जब आप किसी प्रिंट से जुड़े कपड़े खरीदने जाएं तो आपको उनके बारे में पता हो।
#1
ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रक्रिया
ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रक्रिया काफी जटिल होती है।
सबसे पहले लकड़ी के ब्लॉकों पर डिजाइन बनाई जाती है, फिर इन्हें रंगों में डुबोकर कपड़े पर छापे जाते हैं। यह काम हाथों से किया जाता है, जिससे हर प्रिंट अनोखा बनता है।
रंगों का चयन भी जरूरी होता है क्योंकि ये प्राकृतिक होते हैं और लंबे समय तक टिकते हैं। इस प्रक्रिया में धैर्य और कुशलता की जरूरत होती है।
#2
भारत में ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रकार
भारत में कई तरह की ब्लॉक प्रिंटिंग होती है, जैसे कि बाघरू, सोजनी, दाबू आदि।
बाघरू प्रिंट राजस्थान का खास प्रिंट है, जिसमें जानवरों और फूलों की डिजाइन होती हैं।
सोजनी प्रिंट गुजरात की खासियत है, जिसमें बारीक काम किया जाता है।
दाबू प्रिंट महाराष्ट्र का अनोखा तरीका है, जिसमें मिट्टी के सांचे का उपयोग होता है।
इन सभी तरीकों में तकनीक अलग हो सकती है, लेकिन सभी का उद्देश्य सुंदरता बढ़ाना होता है।
#3
कपड़ों पर डिजाइन बनाने का तरीका
ब्लॉक प्रिंटिंग में कपड़ों पर डिजाइन बनाने के लिए सबसे पहले डिजाइन तैयार किया जाता है, फिर उसे लकड़ी के ब्लॉकों पर उकेरा जाता है।
इसके बाद इन ब्लॉकों को रंगों में डुबोकर कपड़े पर छापे जाते हैं। यह प्रक्रिया हाथों से की जाती है, जिससे हर प्रिंट अनोखा बनता है।
रंगों का चयन भी अहम होता है क्योंकि ये प्राकृतिक होते हैं और लंबे समय तक टिकते हैं। इस प्रक्रिया में धैर्य और कुशलता की जरूरत होती है।
#4
पर्यावरण के अनुकूल कला
ब्लॉक प्रिंटिंग पर्यावरण के लिए अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होते हैं।
प्लास्टिक रंगों की तुलना में ये अधिक सुरक्षित होते हैं, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
इसके अलावा यह प्रक्रिया रासायनिक उत्पादों का उपयोग नहीं करती, जिससे जमीन और जल स्रोतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।