बच्चे भी तेज़ी से हो रहे हैं डायबिटीज के शिकार, जानें लक्षण और इसका इलाज
आज के समय में लोग तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। पहले जो बीमारी बड़े लोगों को होती थी, आज उन बीमारियों का शिकार बच्चे भी हो रहे हैं। एक ऐसी ही गंभीर बीमारी डायबिटीज है। डायबिटीज मेलिटस बहुत गंभीर मेटाबोलिक विकार है, इसकी वजह से शरीर में शुगर का अपघटन अच्छे से नहीं होता है। ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों में होने वाली डायबिटीज के लक्षण और इसका इलाज।
लंबे समय से डायबिटीज होने पर आँखों पर पड़ता है बुरा असर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डायबिटीज का बुरा असर दिल, नसों, किडनी और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर पड़ता है। वहीं अगर लंबे समय से डायबिटीज़ की समस्या हो तो मरीज़ की आँखों पर बुरा असर पड़ता है। डायबिटीज दो तरह का होता है, टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। दोनों ही किसी भी उम्र में हो सकता है। बच्चों में ज़्यादातर टाइप 1 डायबिटीज होने की संभावना होती है।
बच्चों में होने वाले डायबिटीज के लक्षण
जब कोई बच्चा डायबिटीज का शिकार होता है तो उसे सिर दर्द, ज़्यादा प्यास लगना, ज़्यादा भूख लगना, व्यवहार में बदलाव, पेट में दर्द, बेवजह वजन कम होना, रात में बार-बार पेशाब लगने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही यौन अंगों के आस-पास खुजली भी होती है। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के ये लक्षण कुछ ही सप्ताह में तेज़ी से बढ़ जाते हैं, जबकि टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं।
बच्चों में होने वाले डायबिटीज का इलाज
जब भी कोई बच्चा डायबिटीज का शिकार हो जाता है तो उसे इलाज के लिए इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। अक्सर निदान के पहले साल में बच्चे को इंसुलिन की कम खुराक दी जाती है। इस समय को 'हनीमून पीरियड' कहा जाता है। आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात के समय इंजेक्शन नहीं दिए जाते हैं, क्योंकि इसका बुरा असर होता है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है, उसे रात में भी इंसुलिन दिए जानें लगते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज के भी शिकार हो सकते हैं बच्चे
मोटे लोग सबसे जल्दी डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं। मोटे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है। गतिहीन जीवनशैली की वजह से शरीर इंसुलिन और रक्तचाप पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। ऐसे में चीनी से युक्त खाद्य और पेय पदार्थों का कम से कम सेवन करना चाहिए। ज़्यादा मीठा खाने से वजन बढ़ता है, जो इंसुलिन के स्तर के लिए ख़तरनाक होता है। डाइट में संतुलित आहार शामिल करके इससे बचा जा सकता है।