पार्किंसंस रोग के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
पार्किंसंस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के दिमाग के न्यूरोन धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं और इस वजह से उनके लिए शरीर का संतुलन बनाए रखना काफी मुश्किल हो जाता है। दरअसल, यह बीमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है। हालांकि, योग प्राणायाम इसके जोखिम को कम करने में काफी मदद कर सकता है। आइए कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका जानते हैं, जो पार्किंसंस के जोखिम कम करने में सहायक हो सकते हैं।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और प्राणायाम का अभ्यास छोड़ दें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें। अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठकर अपनी दोनों आंखें बंद करें। अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें, फिर एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों से भरी हुई सांस को छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए। कुछ मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
उद्गीथ प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो। शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।