#WorldOzoneDay2019: आख़िर क्यों मनाया जाता है ओजोन दिवस और पृथ्वी के लिए क्या है इसका महत्व?
हर साल 16 सितंबर को पूरे विश्व में ओजोन दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को, पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाने तथा हमारे जीवन को संरक्षित रखने वाली ओजोन परत के बारे में जागरूक करना है। आज ओजोन दिवस के मौक़े पर हम आपको बताएँगे कि आख़िर ओजोन दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका पृथ्वी के लिए क्या महत्व है। आइए जानें।
क्यों मनाया जाता है ओजोन दिवस?
पृथ्वी की सतह से लगभग 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओजोन गैस की एक पतली परत पाई जाती है। ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों को सोख लेती है और पृथ्वी को सुरक्षित रखती है। पृथ्वी के ऊपर मौजूद ओजोन परत तथा पर्यावरण में उसकी भूमिका के महत्व को उजागर करने के लिए ही हर साल 16 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।
ओजोन दिवस की थीम
विश्व ओजोन दिवस 2019 की थीम '32 Years and Healing' है। इस थीम के ज़रिए मॉन्ट्रियल प्रोटकॉल के अंतर्गत दुनियाभर के देशों द्वारा ओजोन परत के संरक्षण तथा जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशकों से किए जा रहे प्रयासों को सेलिब्रेट किया जाएगा।
विश्व ओजोन दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1994 में 16 सितंबर को 'ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की। उसी दिन ओजोन परत के संरक्षण के लिए 1987 में बनाए गए मॉन्ट्रियल प्रोटकॉल पर हस्ताक्षर किया गया था। उसके बाद पहली बार विश्व ओजोन दिवस 1995 में मनाया गया था। यह दिवस जनता को पर्यावरण के महत्व और इसे सुरक्षित रखने के अहम साधनों के बारे में शिक्षित करता है।
क्या है ओजोन परत?
ओजोन एक हल्के नीले रंग की गैस है। ओजोन परत में वायुमंडल के अन्य हिस्सों के मुकाबले ओजोन (O3) की उच्च सांद्रता होती है।यह परत मुख्य रूप से समताप मंडल के निचले हिस्से में पृथ्वी से 20-30 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
पृथ्वी के लिए ओजोन परत का महत्व
ओजोन परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों के लिए एक अच्छे फ़िल्टर का काम करती है। ओजोन परत पृथ्वी के जीवों के जीवन की रक्षा करने में सहायता करती है। यह पृथ्वी पर हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों को पहुँचने से रोक कर मनुष्यों के स्वास्थ्य तथा पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करती है।
अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान
अल्ट्रा वायलेट किरण, सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक ऐसी किरण है, जिसमें बहुत ज़्यादा ऊर्जा होती है। यह ऊर्जा ओजोन परत को धीरे-धीरे पतला कर रही है। अल्ट्रा वायलेट किरणों की मात्रा से स्किन कैंसर, मोतियाबिंद के अलावा शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इसका बुरा असर जैव विविधता पर भी पड़ता है और इससे फ़सलों को भी नुकसान हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव समुद्री जीवों पर भी पड़ सकता है।