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#NewsBytesExplainer: नक्सलियों ने किया हथियार छोड़ने का ऐलान, शांति वार्ता के लिए कैसे हुए राजी?
नक्सलियों ने सरकार के साथ शांति वार्ता की बात कही है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

#NewsBytesExplainer: नक्सलियों ने किया हथियार छोड़ने का ऐलान, शांति वार्ता के लिए कैसे हुए राजी?

लेखन आबिद खान
Sep 17, 2025
04:28 pm

क्या है खबर?

नक्सलवाद के खिलाफ दशकों से चल रही लड़ाई में अहम मोड़ आया है। प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (CPI-M) ने युद्धविराम की पेशकश करते हुए केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता की मांग की है। कथित तौर पर CPI-M ने इस संबंध में सरकार को एक पत्र भी लिखा है। नक्सलियों ने कहा है कि वे शांति वार्ता के लिए गंभीर और ईमानदार पहल की उम्मीद कर रहे हैं। आइए जानते हैं नक्सली क्यों शांति वार्ता चाह रहे हैं।

पत्र

सबसे पहले जानिए नक्सलियों ने पत्र में क्या लिखा

नक्सलियों ने लिखा है कि वह मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होना चाहते हैं और इसके लिए सशस्त्र उग्रवाद छोड़ने को तैयार हैं। पत्र में कहा गया है कि नक्सली एक महीने तक हिंसा रोकने के लिए तैयार है और सरकार से अपील की है कि वार्ता के लिए एक समिति बनाई जाए। CPI-M ने कहा कि उसने 2024 से चल रहे अभियान में पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों का सामना किया है, जिसमें दोनों नुकसान हुआ है।

मांग

नक्सलियों ने की सरकार से ये मांगें

नक्सलियों ने मांग की है कि अगर सरकार वार्ता चाहती है, तो वह जेल में बंद नक्सलियों ने विचार-विमर्श की अनुमति दे और इस दौरान संगठन पर पुलिस दबाव न डाले। CPI-M ने कहा कि वार्ता के लिए सरकार को तुरंत एक महीने के लिए औपचारिक युद्धविराम की घोषणा करनी होगी, तलाशी अभियान रोकना होगा और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। नक्सलियों ने कहा कि वे गृह मंत्री अमित शाह या उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करेंगे।

बयान

गृह मंत्री ने कहा था- मार्च 2026 तक नक्सलियों का सफाया होगा

नक्सलियों के हथियार डालने की एक बड़ी वजह गृह मंत्री शाह के अल्टीमेटम को माना जा रहा है। 24 अगस्त, 2024 को शाह ने रायपुर में कहा था, "देश से मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा। लेफ्ट विंग माओवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद पर एक मजबूत रणनीति और निर्मम दृष्टिकोण के साथ अंतिम प्रहार किया जाए।"

ऑपरेशन

दिसंबर, 2023 से मारे गए 453 नक्सली

गृह मंत्री के बयान के बाद सुरक्षाबलों ने नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी लाई। गृह मंत्रालय के मुताबिक, दिसंबर 2023 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में 453 माओवादी मारे गए, 1,616 गिरफ्तार किए गए और 1,666 ने आत्मसमर्पण किया है। इस साल केवल छत्तीसगढ़ में 241 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 212 बस्तर संभाग, 27 गरियाबंद और 2 को दुर्ग संभाग के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में मारा गया। छत्तीसगढ़ में 65 नए सुरक्षा कैंप भी खोले गए हैं।

नेता

नक्सलियों के कई बड़े नेता ढेर

नक्सल विरोधी अभियानों में बड़े नेताओं के मारे जाने से नक्सली संगठन कमजोर हो गए हैं। 21 मई को सुरक्षाबलों ने 1.5 करोड़ के इनामी नक्सली बसवा राजू को मार गिराया था। जनवरी 2025 में गरियाबंद में 1 करोड़ के इनामी नक्सली जयराम रेड्डी, बीजापुर में 50 लाख के इनामी नक्सली दामोदर, जून में 40 लाख के इनामी नक्सली नरसिम्हा चलम, सितंबर में झारखंड में 1 करोड़ के इनामी नक्सली सहदेव सोरेन उर्फ परवेश को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था।

ऑपरेशन

एक दिन में मारे गए दर्जनों नक्सली

इस साल सुरक्षाबलों ने एक दिन में कई नक्सलियों को मार गिराया था। 16 जनवरी को कांकेर में 18 नक्सली मारे गए थे। 20-21 जनवरी को छत्तीसगढ-ओडिशा सीमा पर मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए थे। 9 फरवरी को बीजापुर में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया था। 20 मार्च को दंतेवाड़ा में 26, 29 मार्च को सुकमा में 16, 15 मई को छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर 31 और 18 जुलाई को अबूझमाड़ में 6 नक्सली मारे गए थे।

दायरा

सिमटता जा रहा नक्सलियों का दायरा

गृह मंत्रालय के अनुसार, 2014 में 35 जिले नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। अब ये संख्या केवल 6 रह गई है। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या भी 126 से घटकर 18 रह गई है। 2014 में 76 जिलों में 1,080 नक्सली घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2024 में 42 जिलों में इस तरह की 374 घटनाएं दर्ज की गईं। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर और कोंडागांव जिले अब नक्सल-मुक्त हो चुके हैं।