कांग्रेस का प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप, कहा- ट्रंप से समझौते के लिए पारित किया SHANTI विधेयक
क्या है खबर?
संसद में पारित किए गए सतत परमाणु ऊर्जा संवर्धन और विकास (SHANTI) विधेयक को लेकर कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि इस विधेयक को अमेरिकी हितों की पूर्ति के लिए जबरदस्ती पारित कराया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने कभी अच्छे दोस्त के साथ शांति समझौते में मदद करने के लिए ऐसा किया गया है। हालांकि, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सीधा नाम नहीं लिया।
आरोप
रमेश ने क्या लगाया आरोप?
रमेश ने एक्स पर लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने अभी-अभी अमेरिकी वित्तीय वर्ष 2026 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अधिनियम 3,100 पृष्ठों का है। पृष्ठ 1,912 पर परमाणु दायित्व नियमों पर अमेरिका और भारत के बीच संयुक्त मूल्यांकन का उल्लेख है। इस संदर्भ से यह स्पष्ट हो गया कि सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में SHANTI विधेयक को पारित करने के लिए इतनी तेजी से कदम क्यों उठाया है।'
दावा
रमेश ने किया यह बड़ा दावा
रमेश ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री मोदी के SHANTI विधेयक को जबरदस्ती पारित कराने का पता चल गया है। इस विधेयक में अन्य बातों के अलावा, परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 के प्रमुख प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है। यह अपने पुराने अच्छे दोस्त के साथ शांति समझौते को बहाल करने के लिए था।' उन्होंने लिखा, 'SHANTI अधिनियम को ट्रंप अधिनियम, रिएक्टर उपयोग और प्रबंधन वादा अधिनियम कहना भी उचित होगा।'
विधेयक
SHANTI विधेयक में क्या किए गए हैं प्रावधान?
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित SHANTI विधेयक भारत के नागरिक परमाणु ढांचे में व्यापक बदलाव लाता है। यह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलता है और दो प्रमुख कानूनों (परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010) को निरस्त करता है। विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया है कि आपूर्तिकर्ता दायित्व प्रावधानों को हटाने से परमाणु दुर्घटना की स्थिति में नागरिक असुरक्षित हो सकते हैं।
पृष्ठभूमि
रमेश ने क्यों की है विधेयक की आलोचना?
रमेश की विधेयक को लेकर यह आलोचना राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा हाल ही में वित्त वर्ष 2026 के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (NDAA) पर हस्ताक्षर करने की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें परमाणु दायित्व नियमों पर भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त आकलन का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। इस विधेयक पर विपक्ष ने मांग की कि उसे विस्तृत जांच के लिए संसदीय समिति को भेजा जाए, लेकिन इन मांगों को खारिज कर दिया गया।