
#NewsBytesExplainer: भारत-नेपाल के बीच क्यों है खुली हुई सीमा, वीजा-पासपोर्ट क्यों नहीं लगता?
क्या है खबर?
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने तख्तापलट कर दिया है। निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है और अब अंतरिम सरकार बनाने की कवायद हो रही है। इस बीच भारत ने नेपाल से सटे इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है। वहां की जेलों से भागे कई कैदियों को भारतीय सुरक्षाबलों ने सीमा के नजदीक पकड़ा हैं। आइए आज भारत-नेपाल की सीमा के बारे में जानते हैं।
सीमा
कितनी बड़ी है भारत-नेपाल की सीमा?
भारत और नेपाल एक-दूसरे के साथ 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। ये सीमा भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल से लगती है। उत्तराखंड में इसकी लंबाई 263 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 560 किलोमीटर, बिहार में 729 किलोमीटर, सिक्किम में 99 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 100 किलोमीटर है। सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सशस्त्र सीमा बल (SSB) के पास है। SSB ने नेपाल सीमा पर 455 सीमां चौकियां स्थापित की हैं।
समझौता
भारत-नेपाल के बीच 1950 में हुई थी अहम संधि
भारत और नेपाल ने साल 1950 में 'भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि' पर हस्ताक्षर किए थे। ये संधि दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है। यह संधि दोनों देशों के बीच लोगों और वस्तुओं की मुक्त आवाजाही, रक्षा और विदेशी मामलों के बीच घनिष्ठ संबंध और सहयोग की अनुमति देती है। इस संधि के जरिए नेपाल को एक लैंडलॉक (जहां समुद्री सीमा न हो) देश होने के कारण कई विशेषाधिकार भी दिए गए हैं।
सीमा
दोनों देशों के नागरिकों को आने-जाने के लिए वीजा-पासपोर्ट की जरूरत नहीं
दरअसल, भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं। इस संधि के जरिए नागरिकों को दोनों देशों में संपत्ति खरीदने, व्यापार करने, निवास और आवागमन का अधिकार दिया गया है। यानी एक नेपाली नागरिक भारत में और भारतीय नागरिक नेपाल में संपत्ति खरीद सकता है। एक भारतीय नागरिक नेपाल में रह सकता है और नेपाली नागरिक को भी भारत में रहने का अधिकार है। इसी संधि में यह भी है कि नागरिक बिना वीजा के आ-जा सकते हैं।
सीमा
भारत-नेपाल के बीच सीमा खुली क्यों है?
भारत और नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों के अलावा दोनों देशों के लोगों में भी करीबी संबंध हैं। सीमा से सटे इलाकों में दोनों देशों के नागरिकों के बीच आजीविका के साथ-साथ विवाह और पारिवारिक संबंध भी हैं। इन्हें आमतौर पर 'रोटी-बेटी का रिश्ता' कहा जाता है। संधि के अलावा ये भी एक वजह है कि भारत-नेपाल की ज्यादातर सीमा पर कोई फेंसिंग नहीं है। लोग बिना रोक-टोक के सीमा पार कर सकते हैं।
विवाद
दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर क्या कोई विवाद है?
भारत-नेपाल के बीच सीमा के अधिकतर हिस्से को लेकर कोई विवाद नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में भारत-नेपाल-चीन सीमा पर स्थित लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को लेकर हाल ही में मतभेद सामने आए हैं। 2019 में नेपाल ने इन इलाकों को अपना बताते हुए एक नया नक्शा जारी किया था। नेपाल ने नए नोटों पर भी इस नक्शे को छापा था। हाल ही में कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत के बाद भी नेपाल ने आपत्ति जताई थी।
विवाद की पृष्ठभूमि
कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को लेकर क्या है विवाद?
सीमा संधि के तहत, उत्तराखंड की महाकाली नदी के पश्चिम में स्थित पूरा हिस्सा भारत का है, वहीं पूर्व का हिस्सा नेपाल में आता है। दोनों देशों में नदी की स्थिति को लेकर विवाद है और भारत इलाके में पड़ने वाले कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता है। वहीं, नेपाल इन तीनों को अपना क्षेत्र बताता है। विवादित इलाका केवल 335 वर्ग किलोमीटर का है, लेकिन भारत-नेपाल-चीन सीमा पर स्थिति की वजह से इसका काफी रणनीतिक महत्व है।