नेपाल के नए नोटों पर भारतीय इलाकों को अपने नक्शे में दिखाने का विवाद क्या है?
क्या है खबर?
नेपाल ने 100 रुपये के नए नोट छापने का ऐलान किया है। इन नोटों पर छपने वाले नक्शे में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी जैसे विवादित स्थल भी छापे जाएंगे, जो भारत के इलाके हैं।
नेपाल पहले भी इन क्षेत्रों को अपना बताकर विवाद बढ़ाने की कोशिश कर चुका है, जिसके जवाब में भारत इन क्षेत्रों को 'कृत्रिम रूप से विस्तारित' करार दे चुका है।
आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।
मामला
क्या है मामला?
3 मई को नेपाल सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने मीडियाकर्मियों को बताया कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नेपाल के नए मानचित्र को नोटों पर छापने का फैसला लिया गया।
उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने 25 अप्रैल और 2 मई को हुई बैठकों के दौरान 100 रुपये के बैंक नोट को फिर से डिजाइन करने और बैंक नोट की पृष्ठभूमि में मुद्रित पुराने मानचित्र को बदलने की मंजूरी दे दी।
विवाद
भारत और नेपाल में क्या सीमा विवाद?
भारत और नेपाल करीब 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। यह भारत के 5 राज्यों, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, को छूती है।
अंग्रेजों और नेपाल के गोरखा राजा के बीच 1816 में हुए सुगौली समझौते में काली नदी के जरिए भारत और नेपाल के बीच सीमा का निर्धारण हुआ था।
हालांकि, इसके कई इलाकों को लेकर विवाद है। अनुमानों के अनुसार, दोनों देशों के बीच करीब 54 स्थानों पर सीमा विवाद हैं।
इलाके
लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को लेकर क्या विवाद?
दरअसल, भारत, नेपाल और चीन की सीमा से लगे इलाके में हिमालयी नदियों से मिलकर बनी एक घाटी है, जो नेपाल और भारत में बहने वाली महाकाली नदी का उद्गम स्थल है। इस इलाके को कालापानी कहते हैं। यहीं पर लिपुलेख दर्रा भी है।
यहां से उत्तर-पश्चिम में लिंपियाधुरा नामक एक और दर्रा है। समझौते के मुताबिक, काली नदी का पश्चिमी क्षेत्र भारत का इलाका है, जबकि नदी के पूर्व में पड़ने वाला इलाका नेपाल का है।
नदी
काली नदी के उद्गम स्थल को लेकर है विवाद
नदी के पूर्व और पश्चिम में सीमा का निर्धारण तो कर दिया गया, लेकिन इसके उद्गम स्थल को लेकर भारत-नेपाल के अलग-अलग दावे हैं।
नेपाल कहता है कि नदी की मुख्य धारा लिंपियाधुरा से शुरू होती है, इसलिए इसे उद्गम स्थल माना जाएगा। अगर ऐसा माना जाए तो लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी नेपाल के हिस्से हुए।
भारत नदी की पूर्वी धारा को उद्गम स्थल मानता है, जिसके चलते ये तीनों इलाके उसके हिस्से में आते हैं।
कालापानी
कालापानी क्यों है अहम?
कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में पड़ता है, जहां से भारत चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रख सकता है। भारत ने पहली बार 1962 के युद्ध में यहां सेना तैनात की थी। फिलहाल यहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) तैनात है।
भारत से मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री इसी इलाके के लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरते हैं। 1962 में चीन के हमले के बाद भारत ने लिपुलेख दर्रे को बंद कर दिया था, जिसे 2015 में खोला गया।
नेपाल
पहले भी इस तरह की हरकत कर चुका है नेपाल
18 जून, 2020 को नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था। इसके लिए बाकायदा नेपाल के संविधान में संशोधन किया गया था। तब इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और इसे 'कृत्रिम विस्तार' बताया था।
नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी कह चुकी हैं कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का अभिन्न अंग हैं और इसे लेकर भारत के साथ विवाद को कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।
चीन
फैसले का राजनीतिक और चीन संबंध
कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल में बड़ा चुनावी मुद्दा हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चुनावों के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे भारत से इन इलाकों को बातचीत के जरिए वापस ले लेंगे।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (CPN-UML) के साथ सरकार बनाई है, जिसके नेता ओली हैं, जिन्हें चीन का समर्थक माना जाता है।
नेपाल पर चीन के इशारों पर चलने का आरोप है।