चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस केस में मिली राहत, जानें क्या है यह पूरा मामला
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में राहत मिली है। कोर्ट ने इस मामले में उनकी और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 3 सितंबर तक रोक लगा दी है। इस केस में पी चिदंबरम और उनके बेटे की अंतरिम राहत बुधवार को खत्म हो गई थी। चिदंबरम पहले INX मीडिया केस में CBI की हिरासत में है। आइये, जानते हैं कि एयरसेल-मैक्सिम डील मामला आखिर क्या है।
मामले में चिदंबरम समेत नौ आरोपी
एयरसेल-मैक्सिस लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में चिदंबरम को आरोपी बनाया है। यह मामला चिदंबरम द्वारा वित्त मंत्री रहते हुए FIPB (फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) की एक मंजूरी से जुड़ा है। ED का कहना है कि चिदंबरम ने मंत्री रहते हुए अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर विदेशी निवेशकों को मदद पहुंचाई थी। ED ने अपनी चार्जशीट में चिदंबरम के अलावा उनके CA और बेटे समेत कुल नौ लोगों को आरोपी बनाया था।
मॉरिशस की कंपनी ने किया था निवेश
नियमों के मुताबिक, विदेशी निवेश के लिए FIPB से मंजूरी लेनी होती है। इस मामले में मॉरीशस की एक कंपनी ग्लोबल कम्यूनिकेशन होल्डिंग सर्विस लिमिटेड को एयरसेल में निवेश की मंजूरी दी गई थी। यह कंपनी मलेशिया की मैक्सिम कम्यूनिकेशन की सहायक कंपनी है।
क्या हैं ED के आरोप?
ED का आरोप है कि इस डील में FIPB की मंजूरी देश की FDI नीति के नियमों का उल्लंघन करके दी गई थी। 2006 में FDI नीति और नियमों के मुताबिक तत्कालीन वित्त मंत्री 600 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी निवेश की मंजूरी नहीं दे सकते थे, जबकि यह डील लगभग 3,500 करोड़ रुपये की थी। नियमों के मुताबिक इसकी मंजूरी के लिए चिदंबरम को इस डील का प्रस्ताव कैबिनेट कमेटी ऑन इकॉनोमिक अफेयर्स (CCEA) में रखना था।
चिदंबरम ने अपने स्तर पर दी डील को मंजूरी
नियमों के मुताबिक, विदेशी निवेश की बड़ी रकम देखते हुए CCEA ही इसकी मंजूरी पर विचार कर सकती थी, लेकिन चिदंबरम ने यह प्रस्ताव कभी CCEA के सामने नहीं रखा। उन्होंने अपने स्तर पर इस निवेश की मंजूरी दे दी। अब ED का कहना है कि चिदंबरम द्वारा CCEA के सामने प्रस्ताव न रखकर अपने स्तर पर मंजूरी देना एक साजिश का हिस्सा है। ED के साथ-साथ CBI भी इस मामले की जांच में जुटी है।
क्या कार्ति चिदंबरम को मिला फायदा?
CBI ने अपनी जांच में पाया कि इस डील को पूरा करने के लिए चिदंबरम ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था। इसके बदले में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को फायदा पहुंचाया गया था। चिदंबरम ने नियमों से अलग जाकर इसकी मंजूरी दी थी। जिस कंपनी में यह निवेश हुआ था यानी एयरसेल टेलीवेंचर्स लिमिटेड ने कार्ति चिदंबरम से जुड़ी एक कंपनी को 26 लाख रुपये का भुगतान किया था।
जांच एजेंसियों को भुगतान पर संदेह
इसके अलावा चेस मैनेजमेंट सर्विस नाम की एक कंपनी को भी 90 लाख रुपये मिले थे। यह कंपनी कार्ति चिदंबरम और ए पलानियप्पन प्रमोट करते थे। पलानियप्पन, पी चिदंबरम के भतीजे हैं। यह रकम मैक्सिस ग्रुप की तरफ से एक सॉफ्टवेयर खरीदने के नाम पर चुकाई गई थी। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ये सारे भुगतान असली नहीं थे और ये किसी तरह का फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे।