#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने रूस की बड़ी तेल कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध, भारत पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
अमेरिका ने रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। अमेरिका ने कहा कि इसका उद्देश्य यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बनाना है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि ये प्रतिबंध रूस की 2 सबसे बड़ी तेल कंपनियों- रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए हैं, जो रूस की 'युद्ध मशीन' को वित्तपोषित करती हैं। आइए जानते हैं इस कदम का भारत पर क्या असर हो सकता है।
फैसला
ट्रंप बोले- पुतिन शांति को लेकर गंभीर नहीं
बेसेंट ने कहा, "राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा इस निरर्थक युद्ध को समाप्त करने से इनकार करने के मद्देनजर वित्त मंत्रालय रूस की 2 सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रहा है, जो क्रेमलिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करती हैं।" वहीं, ट्रंपट्रंप ने पुतिन की आलोचना करते हुए कहा कि वे शांति को लेकर गंभीर नहीं हैं। ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है अब समय आ गया है। हमने बहुत इंतजार किया।"
असर
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका ने जिन 2 रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, उनसे भारत भी भारी मात्रा में तेल खरीदता है। ऐसे में इन प्रतिबंधों का असर भारत पर भी पड़ सकता है। 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। इस साल के पहले 9 महीनों में भारत ने रूस से रोजाना लगभग 17 लाख बैरल तेल आयात किया है।
बयान
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
अमेरिकी विदेश विभाग के पूर्व वरिष्ठ प्रतिबंध अधिकारी एडवर्ड फिशमैन ने कहा कि नए प्रतिबंधों का महत्व इस बात पर निर्भर करता है कि आगे क्या होता है। उन्होंने कहा, "क्या अमेरिका चीनी बैंकों, UAE के व्यापारियों और रोसनेफ्ट/ल्यूकोइल के साथ लेन-देन करने वाली भारतीय रिफाइनरियों पर भी द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की सक्रिय धमकी देगा? मुझे उम्मीद है कि कम से कम अल्पावधि में रूसी तेल के साथ लेन-देन में कुछ कमी आएगी।"
कंपनियां
कई भारतीय कंपनियों पर असर पड़ना तय
प्रतिबंधों से भारत की कई रिफाइनरियां प्रभावित होने की उम्मीद है। केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सरकारी रिफाइनर इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के साथ-साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज, HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प (ONGC) जैसी निजी दिग्गज कंपनियों पर असर पड़ना तय है। रोजनेफ्ट के पास नायरा एनर्जी लिमिटेड का भी लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है, इसलिए उसे रिफाइंड उत्पाद बेचने में संघर्ष करना पड़ सकता है।
यूरोप
अमेरिका से पहले ब्रिटेन और यूरोप भी लगा चुके प्रतिबंध
हाल ही में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने भी रूसी और भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। पिछले हफ्ते ब्रिटेन सरकार ने भारत की नायरा एनर्जी पर भी प्रतिबंध लगा दिए थे। ब्रिटेन ने कहा था कि नायरा ने 2024 में रोजनेफ्ट समेत कई रूसी कंपनियों से अरबों डॉलर का तेल खरीदा था। इससे पहले यूरोपीय यूनियन ने भी नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध लगाए थे। रोजनेफ्ट के साथ नायरा और रिलायंस दोनों के या तो करार हैं या हिस्सेदारी है।
भारत
भारत कम कर सकता है खरीद
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 2 रिफाइनिंग सूत्रों के हवाले से बताया कि रूसी तेल की देश की सबसे बड़ी निजी खरीदार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अपने कच्चे तेल के आयात में भारी कटौती करने या उसे पूरी तरह से बंद करने की योजना बना रही है। वहीं, सरकारी तेल शोधक कंपनियों ने अपनी आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कच्चा तेल सीधे रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट या लुकोइल कंपनियों से न खरीदा जाए।