#NewsBytesExplainer: बृजभूषण सिंह और पहलवानों के विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ और आगे क्या?
क्या है खबर?
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहलवानों का प्रदर्शन जारी है। पहलवानों ने उनके इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग की है।
मामले में जनवरी में जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू होने से लेकर मंगलवार को हरिद्वार के हर की पौड़ी में गंगा में मेडल बहाने की कोशिश करने तक काफी कुछ घटित हुआ है।
आइए इस मामले के घटनक्रमों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
18 जनवरी- पहली बार जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवान
इस पूरे मामले की शुरुआत इस साल 18 जनवरी को तब हुई थी जब विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में कई पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए।
उन्होंने बृजभूषण पर एक नाबालिग समेत अन्य कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग की।
पहलवानों ने कहा था कि उन्हें WFI के अधिकारियों से लगातार धमकियां मिल रही हैं।
मामला
20 जनवरी- पहलवानों ने IOA के सामने रखीं अपनी मांगें
पहलवानों ने 19 जनवरी को मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी।
इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को पत्र लिखकर बृजभूषण के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति का गठन करने की मांग की।
उन्होंने WFI की मौजूदा समिति को भंग कर नए पदाधिकारियों को नियुक्त करने की मांग भी की थी।
मामला
21 जनवरी- खेल मंत्री के आश्वासन के बाद पहलवानों ने खत्म किया धरना
21 जनवरी को पहलवानों और खेल मंत्री ठाकुर के बीच मुलाकात हुई। इसमें कई घंटों के विचार-विमर्श के बाद शिकायतों को दूर करने का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने 3 दिन चला अपना धरना खत्म कर दिया।
इस मुलाकात के बाद खेल मंत्रालय ने भी आरोपों की जांच के लिए एक समिति के गठन का ऐलान किया और WFI की सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उसके सहायक सचिव विनोद तोमर को निलंबित कर दिया।
समिति
23 जनवरी- IOA ने आरोपों की जांच के लिए गठित की समिति
IOA अध्यक्ष पीटी उषा ने खेल मंत्रालय के निर्देश पर पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए 23 जनवरी को दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति को 4 हफ्ते के अंदर जांच पूरी करने के लिए कहा गया।
समिति ने 9 फरवरी और 20 फरवरी को महिला पहलवानों के आरोपों को सुना, जबकि 23 फरवरी को बृजभूषण और अन्य आरोपियों को तलब किया गया था।
मामला
16 अप्रैल- जांच समिति ने खेल मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट
खेल मंत्रालय से 2 हफ्ते का अतिरिक्त समय मिलने के बाद समिति ने 16 अप्रैल को उसे अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट के बाद WFI ने घोषणा की कि उसके नए पदाधिकारियों के लिए 7 मई को चुनाव कराए जाएंगे।
इस बीच पिछले 3 कार्यकाल से WFI अध्यक्ष बृजभूषण ने ऐलान कर दिया कि वह संघ के अध्यक्ष के तौर पर एक और कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे।
धरना
23 अप्रैल- दोबारा धरने पर बैठे पहलवान
पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों द्वारा कनॉट प्लेस थाने में शिकायत करने के बावजूद भी दिल्ली पुलिस ने अब तक बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की है और मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा था कि जब तक बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
मामला
24 अप्रैल- पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
सभी 7 महिला पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग को लेकर 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा।
कोर्ट ने कहा कि पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप काफी गंभीर हैं, जिन पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मामले में FIR दर्ज करेगी।
मामला
28 अप्रैल- दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दर्ज की FIR
दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल की देर रात कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृजभूषण के खिलाफ 2 FIR दर्ज कीं।
पहली FIR एक नाबालिग पहलवान द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित थी, जिसमें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसी तरह दूसरी FIR में बाकी 6 महिला पहलवानों के यौन शोषण और छेड़खानी से जुड़े आरोपों के आधार पर मामला दर्ज किया गया।
मामला
4 मई- सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आगे सुनवाई करने से किया मना
सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को पहलवानों को बड़ा झटका देते हुए मामले में आगे सुनवाई करने से मना कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, इसलिए अब मामले में सुनवाई का उद्देश्य पूरा हो गया है।
हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि पहलवान दिल्ली हाई कोर्ट या किसी निचली कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
समर्थन
7 मई- पहलवानों को मिला किसानों का समर्थन
किसान संगठनों के कई नेता और खाप पंचायतों के प्रतिनिधि धरने पर बैठे पहलवानों का समर्थन करने के लिए 7 मई को जंतर-मंतर पहुंचे।
किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को 15 दिनों के भीतर बृजभूषण को गिरफ्तार करने का अल्टीमेटम देते हुए बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी।
इसी दौरान बृजभूषण ने किसानों और पहलवानों को जांच पूरी होने का इंतजार करने के लिए कहा था।
मामला
12 मई- दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के बयान दर्ज दिए
दिल्ली पुलिस के एक विशेष जांच दल (SIT) ने 12 मई को बृजभूषण के बयान दर्ज किए। SIT ने यौन शोषण के आरोपों को लेकर बृजभूषण से कुछ दस्तावेजों की मांग भी की थी, वहीं इस दौरान बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का खंडन कर दिया।
दिल्ली पुलिस की कई टीमों ने महिला पहलवानों की शिकायत पर उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और हरियाणा जाकर भी सबूत जुटाने शुरू किए।
टेस्ट
22 मई- पहलवानों ने स्वीकार की बृजभूषण की नार्को टेस्ट की चुनौती
पहलवानों ने 22 मई को बृजभूषण की नार्को टेस्ट की चुनौती को स्वीकार कर लिया था। विनेश ने कहा था कि उनके साथ बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाली सभी महिला पहलवान नार्को टेस्ट करवाने के लिए तैयार हैं, लेकिन नार्को टेस्ट का लाइव प्रसारण किया जाना चाहिए।
इससे एक दिन पहले बृजभूषण ने खुद को बेगुनाह बताते हुए अपना नार्को टेस्ट करवाने के लिए हामी भरते हुए पहलवानों को भी टेस्ट करवाने चुनौती दी थी।
मामला
28 मई- दिल्ली पुलिस ने खाली करवाया धरना स्थल
दिल्ली पुलिस ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन महिला महापंचायत करने के लिए जा रहे पहलवानों को हिरासत में ले लिया था। इस दौरान पुलिस और पहलवानों के बीच काफी धक्का-मुक्की भी हुई थी।
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में लेने के बाद जंतर-मंतर से उनका सामान भी हटा दिया था और वहां प्रदर्शन करने की अनुमति देने से मना कर दिया था।
मामला
30 मई- हरिद्वार में गंगा में मेडल बहाने पहुंचे पहलवान
जंतर-मंतर से खदेड़े जाने और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से आहत पहलवान 30 मई को अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार की हर की पौड़ी पर पहुंच गए।
हालांकि, BKU के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बीच में आकर पहलवानों को ऐसा करने से रोक दिया और केंद्र सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम दिया।
उन्होंने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के सौरम में बड़ी महापंचायत बुलाई है।
मामला
अब आगे क्या हो सकता है?
BKU द्वारा गुरुवार को बुलाई गई महापंचायत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के खाप पंचायतों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है।
किसान संगठनों के नेता इस महापंचायत में पहलवानों के आगे के प्रदर्शन की रणनीति तैयार करने को लेकर चर्चा करेंगे।
किसानों के पूरी तरह से पहलवानों के समर्थन में उतरने की उम्मीद है और अगर ऐसा होता है तो आंदोलन बड़ा हो सकता है और सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।