RSS से जुड़े संगठन ने प्रधानमंत्री मोदी से की टिक-टॉक पर बैन लगाने की मांग
राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक संगठन ने प्रधानमंत्री मोदी से टिक-टॉक और हेलो (Helo) ऐप पर बैन लगाने की मांग की है। स्वदेशी जांगरण मंच (SJM) के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने रविवार को लिखे पत्र में कहा कि ये दोनों चीनी सोशल मीडिया ऐप 'देश-विरोधी' कंटेट का अड्डा बन गई है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि इन ऐप की मदद से भारतीय युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
देश-विरोधी कंटेट का हब बनी टिक-टॉक- SJM
महाजन ने अपने पत्र में लिखा कि बीते हफ्तों में टिक-टॉक देश-विरोधी कंटेट का हब बन गया है, जो ऐप पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। उन्होंने लिखा कि यह कंटेट सामाजिक तानेबाने को नष्ट कर सकता है।
हेलो के बारे में कही यह बात
हेलो पर आरोप लगाते हुए महाजन ने लिखा कि ऐप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत तरीके से एडिट किए गए 11,000 राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सात करोड़ रुपये का भुगतान किया था। उन्होंने लिखा, 'इनमें से कुछ विज्ञापनों में भारत के बड़े राजनेताओं का गलत चित्रण किया गया था। चुनावों के दौरान खुद भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस संबंध में अपनी चिंताए जाहिर की थी।'
भारत की एकता और संप्रभुता के लिए खतरा चीनी ऐप- SJM
महाजन ने अपने पत्र में मांग की कि गृह मंत्रालय को देश में हेलो और टिक-टॉक समेत सभी चीनी ऐप्स पर बैन लगाना चाहिए क्योंकि चीनी सरकार का एक हिस्सा भारत की एकता और संप्रभुता को लेकर नकारात्मक इरादे रखता है।
ऐप्स के नियमन के लिए कानून की मांग
स्वदेशी जागरण मंच (SJM) के सह-संयोजक ने दावा किया कि चीनी सरकार और टिक-टॉक जैसी ऐप्स मिलकर भारतीय नागरिकों की निजी जानकारियां चुरा रही हैं। उन्होंने लिखा कि भारत में प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर मौजूद ऐप्स पर नजर रखने के लिए कोई नियम नहीं है। उन्होंने सरकार से ऐसी ऐप्स पर नजर रखने के लिए, देश की सुरक्षा और नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग की है।
भारत में एक बार बैन हो चुकी है टिक-टॉक
मद्रास हाई कोर्ट ने 3 अप्रैल को केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए टिक-टॉक की डाउनलोडिंग पर बैन लगाने को कहा था। इसके साथ हाई कोर्ट ने मीडिया को भी यह निर्देश दिया था कि टिक-टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण न किया जाए। कोर्ट का कहना था कि टिक-टॉक के माध्यम से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है। हालांकि, बाद में कोर्ट ने यह बैन हटा दिया था।