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बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार में अगले साल चुनाव, भारत के लिए ये कितने अहम?
भारत के 3 पड़ोसी देशों में अगले साल चुनाव होना है

बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार में अगले साल चुनाव, भारत के लिए ये कितने अहम?

लेखन आबिद खान
Dec 27, 2025
05:48 pm

क्या है खबर?

राजनीतिक अस्थिरता या आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहे भारत के 3 पड़ोसी देशों- नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होना है। भारत की इन चुनावों पर नजरें रहेंगी, क्योंकि वहां उथल-पुथल का असर देश में भी महसूस होता रहा है। भारत चाहता है कि इन पड़ोसी देशों में स्थिर और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार बने, ताकि उसका पड़ोसी इलाका शांत रहे। आइए इन चुनावों की अहमियत समझते हैं।

म्यांमार

म्यांमार में गृह युद्ध के बीच 5 साल बाद चुनाव

म्यांमार के सैन्य जुंटा शासन ने 28 दिसंबर से चरणबद्ध चुनाव कराने का ऐलान किया है। 2021 में आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार गिरने के बाद ये पहले चुनाव हैं। हालांकि, ज्यादातर हिस्सा अभी भी गृह युद्ध की चपेट में हैं, सू की पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और संसद की एक चौथाई सीटें सेना के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में संभावना है कि सत्ता सैन्य शासन के हाथ में ही बनी रह सकती है।

भारत की नजर

म्यांमार चुनाव पर क्यों रहेंगी भारत की नजरें?

हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत म्यांमार में शांति, स्थिरता और सामान्य स्थिति की वापसी के पक्ष में मजबूती से खड़ा है। म्यांमार में जारी संघर्ष के चलते हजारों लोग सीमा पार कर मिजोरम में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं। वहां की सेना के कई जवानों ने भी मिजोरम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। म्यांमार में अशांति से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में तनाव बढ़ने की आशंका होती है।

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बांग्लादेश

बांग्लादेश में 12 फरवरी को डाले जाएंगे वोट

बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। वहां भारत समर्थक शेख हसीना की अवामी लीग पर प्रतिबंध लग चुका है, 17 साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान देश लौट आए हैं और जमात-ए-इस्लामी समेत कई कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हो रहे हैं। चुनाव की घोषणा के बाद से ही बांग्लादेश में रुक-रुककर हिंसा हो रही है और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।

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असर

भारत के लिए कितने अहम बांग्लादेश के चुनाव?

बांग्लादेश के चुनाव भारत के लिए कई मायनों में अहम है। अगर कट्टरपंथी संगठनों की गठबंधन सरकार सत्ता में आती है, तो रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में वैसे ही भारत-बांग्लादेश के रिश्ते खराब हो गए हैं। यूनुस की चीन से नजदीकी किसी से छिपी नहीं है। वे पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। बांग्लादेश की पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी भी भारत के लिए चिंता की बात है।

नेपाल

नेपाल में युवा पीढ़ी बनाम पारंपरिक राजनीति

नेपाल में 5 मार्च, 2026 को संसदीय चुनाव होने हैं। वहां काठमांडू के महापौर बालेन शाह, पूर्व पत्रकार रवि लामिछाने और लोकप्रिय प्रशासक कुलमान घिसिंग जैसे चेहरे पारंपरिक पार्टियों की चुनौतियां बढ़ा रहे हैं। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से परेशान युवा नए विकल्प की तलाश में है। इसी साल हुए जेन जी आंदोलन के बाद केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। फिलहाल वहां भारत समर्थक मानी जाने वालीं सुशीला कार्की के नेतृत्व में अतंरिम सरकार है।

अहमियत

भारत के लिए कितने अहम नेपाल चुनाव?

नेपाल हमेशा से भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा रहा है। अतीत में मजबूत रहे दोनों देशों के संबंध धीरे-धीरे कटूतापूर्ण हो रहे हैं। चीन का नेपाल में हस्तक्षेप बढ़ रहा है। कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख दर्रे को लेकर विवाद भी तूल पकड़ रहा है। भारत के 5 राज्यों से सटी नेपाल की सीमा ज्यादातर जगहों पर खुली हुई है। वहां एक मजबूत और स्थिर सरकार दोनों देशों के संबंधों के लिए अहम है।

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