
कौन हैं सुशीला कार्की, जो बनी नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री?
क्या है खबर?
नेपाल में Gen-Z के आंदोलन के बाद उपजी भारी उथल-पुथल के बाद सुशीला कार्की (72) देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। कार्की को देश की पहली महिला शासनाध्यक्ष बनने के साथ पहली मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रचने का भी सौभाग्य प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्ति के करीब 8 साल बाद वह फिर से बड़ा पद संभालने जा रही हैं। विराटनगर से अपनी वकालत शुरू करने वाली कार्की का जीवन कैसा रहा? आइए जानते हैं।
जन्म
मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था जन्म
कार्की का जन्म 7 जून, 1952 को मोरंग जिले में बिराटनगर के शंकरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता के 7 भाई-बहनों में सबसे बड़ी बेटी हैं। 1950 के दशक के रूढ़िवादी सामाजिक वातावरण में भी उनके माता-पिता ने सभी बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया। उनके पिता नेपाली कांग्रेस से जुड़े थे। तभी वे भी बीपी कोइराला के परिवार और लोकतांत्रिक आंदोलन से जुड़ गई थीं। बाद में उनका परिवार काठमांडू आ गया था।
शिक्षा
BHU से किया है राजनीति विज्ञान में परास्नातक
कार्की ने 1972 में विराटनगर के महेंद्र मोरंग कॉलेज से स्नातक किया था। इसके बाद 1975 में पढ़ाई के लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी आ गईं और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में परास्नातक किया। उन्होंने कानून की पढ़ाई 1978 में नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से की। BHU में पढ़ाई और लोकतांत्रिक आंदोलन के दौरान उनकी नेताओं से मुलाकात होती रही। तभी वह कांग्रेस नेता दुर्गा सुबेदी से मिलीं और बाद में उन्होंने उनसे विवाह कर लिया।
करियर
बिराटनगर से शुरू की थी वकालत, सहायक शिक्षिका भी रहीं
कार्की ने 1979 में बिराटनगर में अपनी वकालत शुरू की। इसी दौरान वह 4 साल धरान में महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक शिक्षिका रहीं। उन्होंने 1990 में पीपुल्स मूवमेंट में भाग लिया। इसके बाद 2007 में काठमांडू की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुईं और नेपाल बार एसोसिएशन में सीनियर एडवोकेट बनीं। कार्की 2009 में अस्थायी न्यायाधीश बनी थीं, जो 2 साल बाद स्थायी हो गईं। जुलाई 2016 में कार्की नेपाल की 24वीं और देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
फैसले
कार्की ने कई उल्लेखनीय फैसले दिए
कार्की ने 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जया प्रकाश गुप्ता को भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी ठहराया और उन्हें जेल भेजा था, जो उनकी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। उन्होंने नागरिकता अधिकारों और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। उन्होंने महिला अधिकारों और लैंगिग समानता को बढ़ावा दिया। उनके नेपाल बैंक अनियमितताओं, पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की बेटी प्रेरणा की दहेज संबंधी जमीन और सूडान घोटाले के मामले में उनके फैसले चर्चित थे।
विवाद
नेपाल की पहली मुख्य न्यायाधीश, जिनके खिलाफ लाया गया था महाभियोग प्रस्ताव
मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने में लगभग 40 दिन बचे थे, तभी उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया। वह पहली न्यायाधीश थीं, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव आया था। सत्तारूढ़ कांग्रेस और माओवादी सांसद उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाए थे, जिसका सड़क पर काफी विरोध हुआ। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश से महाभियोग प्रस्ताव रद्द कर दिया और संसद को भी प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। महाभियोग के बाद कार्की बिना सुनवाई किए सेवानिवृत्त हो गई थीं।
जानकारी
विमान अपहरण से जुड़ा था पति का नाम
कार्की के पति का नाम नेपाल के विमान अपहरण मामले से जुड़े थे, जो 1970 के दशक में हुआ था। हवाई जहाज में बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा सवार थीं। विमान अपहरण नेपाली कांग्रेस द्वारा लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए किया गया था।