LOADING...
नेपाल में सरकार के खिलाफ क्यों फूटा Gen-Z का गुस्सा और क्या है उनकी मांग?
नेपाल में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है युवा आबादी

नेपाल में सरकार के खिलाफ क्यों फूटा Gen-Z का गुस्सा और क्या है उनकी मांग?

Sep 08, 2025
05:33 pm

क्या है खबर?

नेपाल फिर से बड़े आंदोलन की चपेट में दिख रहा है। देश की Gen-Z यानी युवा आबादी न केवल सड़क पर उतर आई, बल्कि केपी ओली सरकार के खिलाफ एकजुट होकर संसद में घुस गई है। सरकार ने विरोध को खत्म करने के सेना को उतार दिया है। इस बीच गोलीबारी में 18 युवाओं की मौत हो गई और 200 से अधिक घायल हो गए हैं। आइए जानते हैं विरोध का कारण क्या है और युवाओं की मांगे क्या हैं।

जानकारी

क्या होती है Gen-Z?

Gen-Z का मतबल 1995 के बाद जन्मे लोगों से है, जो अब 18 से 30 वर्ष के बीच के युवा हैं। ये इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के साथ बड़े हुए हैं। वे डिजिटल नागरिक हैं। न्याय और समानता क्यों जरूरी है, उसके प्रति सचेत हैं।

कारण

क्या है विरोध प्रदर्शन का कारण?

दरअसल, नेपाल की केपी ओली सरकार ने गत 4 सितंबर को सूचना और संचार मंत्रालय में पंजीयन न कराने को लेकर 26 सोशल मीडिया और कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, एक्स (पहले ट्विटर), यूट्यूब, स्नैपचैट, लिंक्डइन, रेडिट, वाइबर और बॉटिम जैसे प्रमुख ऐप्स शामिल हैं। हालांकि, नियामक शर्तें पूरी करने और पंजीयन कराने को लेकर टिकटॉक सहिम कुछ चीनी ऐप्स को संचालन करने की अनुमति दी गई है।

प्रतिबंध

सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया प्रतिबंध?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों सोशल मीडिया कंपनियों के बिना लाइसेंस विज्ञापन और सामग्री प्रसारण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को देश में उनके संचालन के लिए कानूनी अनुमति लेने और पंजीयन कराने के आदेश दिए थे। इस पर सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपिनयों को 7 दिन में अनुमति लेने और पंजीयन कराने का आदेश दिया था, लेकिन अधिकतर कंपनियों ने कोई भी कदम नहीं उठाया। ऐसे में सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया।

गुस्सा

सरकार के आदेश पर फूटा Gen-Z का गुस्सा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अचानक लगे प्रतिबंध ने युवाओं को हैरान कर दिया। वर्तमान दौर में जब लोगों के हाथों से एक सेकंड भी फोन नहीं छूट पाता, वहां बिना सोशल मीडिया के जिंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल है। पढ़ाई, नौकरी, कारोबार, मनोरंजन और यहां तक कि आपसी बातचीत में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पूरी तरह से हावी हैं। ऐसे में जब अचानक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा तो युवाओं का आक्रोश फूट पड़ा।

ऐलान

युवाओं ने किया देशभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से भड़के युवाओं ने देश में संचालित टिकटॉक, वाइबर, विटक, निंबज और पोपो लाइव जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म के जरिए आंदोलन के लिए लोगों को जुटाना शुरू किया और धीरे धीरे लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गई। इस दौरान युवाओं ने 8 सितंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया। इसी का परिणाम रहा है कि सोमवार को काठामांडू समेत देशभर के विभिन्न हिस्सों में युवाओं ने एकत्र होकर कड़ा विरोध प्रदर्शन किया।

प्रयास

सरकार की कार्रवाई में हुई कई युवाओं की मौत

युवाओं ने सोमवार को मैतीघर, काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में विरोध मार्च निकाला। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर संसद में घुसने की कोशिश की और कुछ इसमें सफल भी हो गए। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और कई जगहों पर फायरिंग की। इसमें अब तक 18 युवाओं की मौत हो गई, जबकि 200 से अधिक घायल हैं। सरकार ने संसद क्षेत्र समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया।

आग

प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर के गेट नंबर-2 के पास लगाई आग

काठमांडू प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के उग्र प्रदर्शन पर गोली मारने के आदेश दिए हैं, जिसके बाद 5 आंदोलनकारियों की मौत हो गई है। मौत के बाद प्रदर्शनकारी नाराज हो गए हैं। उन्होंने एक इमारत में तोड़फोड़ कर दी, जहां पुलिस तैनात है। इसके अलावा संसद परिसर के गेट नंबर-2 पर आग लगा दी है, जिसको बुझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। काठमांडू में नेपाली सेना की तैनाती की गई हैं और उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है।

मांग

क्या है Gen-Z की मांग?

सोशल मीडिया प्रतिबंधों को वापस लेने की मांग से शुरू हुआ यह विरोध अब स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार, भ्रष्टाचार के खात्मे और रोजगार की मांग तक पहुंचा गया है। प्रदर्शनकारी युजन राजभंडारी ने AFP से कहा, "विरोध का कारण केवल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नहीं है। हम संस्थागत भ्रष्टाचार और बढ़ती बेरोजगारी का भी विरोध कर रहे हैं।" इक्षमा तुमरोक ने कहा, "हम सरकार की तानाशाही के खिलाफ हैं और बदलाव चाहते हैं। सभी युवा मिलकर बदलाव लाकर रहेंगे।"

सफाई

मामले पर क्या है सरकार की सफाई?

इस मामले में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुड ने कहा, "सरकार के फैसले लोगों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं। हमारे लोगों की जान सबसे महत्वपूर्ण है। अगर सरकार के फैसलों पर नीतिगत दृष्टि से पुनर्विचार करने की जरूरत है, तो हमारे अड़े रहने का कोई मतलब नहीं है। सरकार प्रतिबंध पर दोबारा विचार कर सकती है।" इधर, बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस मामले में कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है।