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भगदड़ से 20 सालों में 1,500 से ज्यादा मौतें; क्यों नहीं थमते हादसे, क्या है वजह? 
इसी साल 5 बड़ी भगदड़ों में 70 से ज्यादा लोग मारे गए हैं (फाइल तस्वीर)

भगदड़ से 20 सालों में 1,500 से ज्यादा मौतें; क्यों नहीं थमते हादसे, क्या है वजह? 

लेखन आबिद खान
Sep 28, 2025
01:56 pm

क्या है खबर?

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और नेता थलापति विजय की रैली में भगदड़ मचने से 39 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। 51 अभी अस्पताल में भर्ती हैं। इस साल की ये छठी बड़ी भगदड़ है। इससे पहले मंदिरों, रेलवे स्टेशन और धार्मिक आयोजनों में हुई भगदड़ों ने उत्साह के पलों को मातम में बदल दिया है। आइए जानते हैं भगदड़ क्यों मचती है और इन दुर्घटनाओं पर लगाम क्यों नहीं लग रही है।

2025

2025 में 5 भगदड़ों में मारे गए 71 लोग

8 जनवरी को तिरुमाला के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में धक्का-मुक्की में 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई। 3 मई को गोवा के लैराई देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 6 लोगों की मौत हुई। 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई। महाकुंभ में 29 जनवरी को भगदड़ मचने से 30 तीर्थयात्रियों की मौत हुई। 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में 11 लोगों की जान गई।

दशक

बीते कुछ सालों में मची बड़ी भगदड़ों के चिंताजनक आंकड़े 

2 जुलाई, 2024: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग में भगदड़, 121 की मौत। 13 अक्टूबर, 2013: मध्य प्रदेश के दतिया में भगदड़ में 115 की मौत। 14 जनवरी, 2011: केरल के पुलमेडु में भगदड़, 104 मौत। 4 मार्च, 2010: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में 63 की मौत। 30 सितंबर, 2008: राजस्थान के जोधपुर में 250 श्रद्धालुओं की मौत। 3 अगस्त, 2008: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में 162 की मौत। 25 जनवरी, 2005: महाराष्ट्र के सतारा में 340 की मौत।

वजह

क्या हैं बार-बार मचती भगदड़ की वजह?

पहले से आयोजित कार्यक्रमों में भगदड़ की सबसे बड़ी वजह भीड़ का सही आंकलन नहीं कर पाना है। आयोजन स्थल पर अपेक्षा से कई गुना ज्यादा भीड़ जमा हो जाती है और स्थानीय प्रशासन हाथ खड़े कर देता है। भीड़ बढ़ने से सारे इंतजाम धरे रह जाते हैं। विजय की रैली में भी यही हुआ। विजय ने 10,000 लोगों की अनुमति मांगी थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर 27,000 लोग जुटे। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शी ये आंकड़ा करीब एक लाख बता रहे हैं।

सजा

जवाबदेही तय नहीं, सजा भी नहीं होती

हर भगदड़ के बाद जांच आयोग गठित होता है, जांच की जाती है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता। किसी भी बड़ी भगदड़ के मामले में अभी तक कोई अहम सजा नहीं हुई है। अक्सर मानवीय कारणों को वजह बताकर जांच खत्म हो जाती है। सजा के नाम पर निचले स्तर के किसी अधिकारी या पुलिस कर्मी पर ठिकरो फोड़ दिया जाता है। बड़े पदों पर बैठे लोग और आयोजक बच निकलते हैं।

उपाय

हादसे रोकने के लिए किन सुधारों की जरूरत?

आयोजन से पहले भीड़ प्रबंधन योजना बने और इसके मानक तय हों। भीड़ की संख्या पहले से निर्धारित की जाए। इसकी निगरानी के लिए कैमरे और ड्रोन तैनात किए जाए। प्रवेश, निकास और आपातकालीन द्वार बनाए जाएं। भीड़ बढ़ने से रोकने और स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक उपाय लागू किए जाएं। अगर कोई हादसा हो तो मुख्य आयोजक, स्थानीय प्रशासनिक प्रमुख समेत सभी जिम्मेदारों पर सख्ती की जाए। केवल औपचारिकता न हो।