
रैली में देरी से पहुंचे विजय, घंटों भूखे-प्यासे खड़े रहे लोग; करूर में कैसे मची भगदड़?
क्या है खबर?
तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में भगदड़ मचने से 39 लोगों की मौत हो गई है। 51 लोग अभी ICU में भर्ती हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर है। ये भगदड़ तब मची, जब विजय करूर में रैली निकाल रहे थे। इस दौरान कुछ लोग बेहोश हो गए और धीरे-धीरे हालात बिगड़ते गए। अब पुलिस ने भी हादसे की संभावित वजहें बताई हैं।
देरी
रैली में 7 घंटे देरी से पहुंचे विजय
विजय को करूर में रैली के लिए दोपहर 12 बजे पहुंचना था। उनकी टीम ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी थी। इस वजह से लोग 11 बजे से ही इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। वहीं, दोपहर 3 से रात 10 बजे तक रैली की अनुमति मिली थी। लेकिन विजय करूर में ही शाम 7.40 बजे पहुंचे। इस दौरान लोग इकट्ठा होते गए और अंत में भीड़ बेकाबू हो गई।
अपील
मंच से बच्ची को ढूंढने की अपील की
विजय मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे कि तभी उन्हें किसी ने बताया कि 9 साल की एक बच्ची गुम हो गई है। विजय ने मंच से ही लोगों से बच्ची को ढूंढने की अपील कर दी। पहले से ही घबराए लोग इस अपील से और घबरा गए और भागने लगे। हालात देख विजय मंच से लोगों पर पानी की बोतलें फेंकने लगे, लेकिन स्थिति बिगड़ती चली गई।
नमक्कल
कल ही विजय की नमक्कल रैली में बने थे भगदड़ जैसे हालात
कल यानी 27 सितंबर को विजय की 2 रैलियां थीं। पहली रैली नमक्कल में होनी थी, जिसके लिए सुबह 8:45 बजे की अनुमति दी गई थी। हालांकि, विजय इस रैली में 2:45 बजे पहुंचे। इस दौरान उनके प्रशंसक धूप में भूखे-प्यासे खड़े रहे। यहां भी कई लोग बेहोश हुए, भगदड़ जैसी स्थिति बने और कुछ महिलाओं के तो पैर टूट गए। विजय ने इस रैली से सबक नहीं लिया और अगली रैली के लिए करूर चले गए।
भीड़
रैली में अनुमान से ज्यादा लोग जुटे
रैली में विजय की पार्टी ने 10,000 लोगों के आने का अनुमान जताया था और इतने ही लोगों के लिए एक मैदान की अनुमति मांगी थी। तमिलनाडु के प्रभारी DGP जी वेंकटरमण ने बताया कि रैली में लेकिन लगभग 3 गुना ज्यादा लोग आ गए। उन्होंने कहा, "विजय की पिछली रैलियों में कम भीड़ होती थी, लेकिन इस बार उम्मीद से कहीं ज्यादा लोग आए।" हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रैली में 1 लाख से ज्यादा लोग थे।
व्यवस्था
आयोजन स्थल पर पानी तक का इंतजाम नहीं
पुलिस ने बताया कि आयोजन स्थल पर लोग धूप में इंतजार कर रहे थे, लेकिन यहां खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। DGP ने कहा, "500 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। विजय ने खुद पुलिस की भूमिका की सराहना की थी। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस को पूरी भीड़ के बराबर संख्या में तैनात करना चाहिए।"