महाराष्ट्र: ऑडी पर लाल बत्ती लगाने वाली IAS पूजा खेडकर का तबादला, क्या है विवाद?
महाराष्ट्र के पुणे में तैनात प्रशिक्षु IAS पूजा खेडकर का तबादला कर दिया गया है। वह अक्सर विवादों को लेकर चर्चा में रही हैं। हाल ही उन्होंने विशेष सुविधाओं की मांग कर विवाद खड़ा किया था। खेडकर का तबादला वाशिम जिले में किया गया है, जहां उनको सहायक कलेक्टर बनाकर भेजा गया। उन पर तबादले की कार्रवाई तब हुई, जब पुणे के जिला कलेक्टर सुहास दिवसे ने मुख्य सचिव से शिकायत की, जिसके बाद शासनादेश जारी हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
न्यूज18 के मुताबिक, जिला कलेक्टर दिवसे ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा कि खेडकर ने 3 जून को तैनाती लेने से पहले ही खेडकर की मांग सामने आने लगी हैं। उन्होंने बताया कि बतौर प्रोबेशन अधिकारी तैनात खेडकर ने अलग के कक्ष, कर्मचारी, आवास और कार मांगी है, जबकि प्रोबेशन पर तैनात अधिकारी को इसकी अनुमति नहीं होती है। शासन के आदेश में कहा गया है कि खेडकर प्रोबेशन के बचे समय तक वाशिम में तैनात रहेंगी।
ऑडी में लाल बत्ती लगाने को लेकर घिर चुकी हैं खेडकर
खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपनी VVIP नंबर प्लेट वाली निजी ऑडी कार चलाती हैं और उसपर 'महाराष्ट्र शासन' लिखा हुआ है। ऑडी पर लाल-नीली बत्ती भी लगाई है। इसके अलावा अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के बाहर रहने पर खेडकर ने उनके सामने के कक्ष पर जबरन कब्जा कर लिया था और उस पर अपनी नेम प्लेट लगा दी थी। बता दें कि प्रोबेशन अधिकारी को राजपत्रित अधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिलने पर सुविधाएं दी जाती हैं।
कौन हैं पूजा खेडकर?
महाराष्ट्र की पूजा खेडकर वर्ष 2022 की IAS अधिकारी हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में उन्होंने अखिल भारतीय रैंक 841 हासिल की थी। खेडकर की मां अहमदनगर जिले के भालगांव की निर्वाचित सरपंच हैं। उनके पिता और दादा सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं। उन्हें पुणे में सहायक कलेक्टर के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी। आरोप है कि उनके पिता भी जिलाधिकारी पर उनकी बेटी को सुविधाएं देने के लिए दबाव बनाते थे।
कोर्ट भी जा चुका है मामला?
हिंदुस्तान के मुताबिक, खेडकर शुरू से विवादों में रही हैं। उनको फरवरी, 2022 में नियुक्ति से मना किया गया था, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में हलफनामा दायर किया। उन्होंने दावा किया कि वह दृष्टिहीन और मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हैं। कोर्ट ने जुलाई और सितंबर 2022 में उनका 4 बार चिकित्सीय परीक्षण करने को कहा, लेकिन वह हाजिर नहीं हुईं। 2023 में उनके हलफनामे को विकलांग का अधिकार कानून-2016 के तहत पेश किया गया, तब उन्हें नियुक्ति की अनुमति मिली।