कठुआ गैंगरेप और हत्याकांडः तीन दोषियों को उम्रकैद, तीन को पांच-पांच साल की सजा
कठुआ गैंगरेप और हत्याकांड मामले में पठानकोट अदालत ने दोषियों को सजा सुना दी है। दोषी करार दिए गए छह लोगों में से तीन को उम्रकैद और तीन को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है। अदालत ने सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खजुरिया को उम्रकैद और सुरेंद्र कुमार, तिलक राज और आनंद दत्ता को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। इससे पहले आज सुबह अदालत ने इस मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया था।
रणबीर दंड संहिता के तहत तय हुआ जुर्म
सांझी राम, दीपक खजुरिया और प्रवेश कुमार को रणबीर दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, अपरहरण, गैंगरेप, सबूतों से छेड़छाड़ और पीड़िता को ड्रग्स देने का दोषी माना गया है। इन तीनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
क्या है रणबीर दंड संहिता
कठुआ मामले की सुनवाई रणबीर दंड संहिता (RPC) के तहत हुई है। दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर मिले स्वायत्ता के दर्जे के कारण वहां भारतीय दंड संहिता (IPC) लागू नहीं होती है। इसलिए यहां पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई है। इसे भारतीय दंड संहिता के तर्ज पर तैयार किया गया है। हालांकि, इसकी कुछ धाराओं में 'भारत' की जगह 'जम्मू और कश्मीर' का इस्तेमाल किया गया है।
इन आरोपियों पर साबित हुआ था दोष
अदालत ने अपने फैसले में पूर्व राजस्व अधिकारी सांझी राम, स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया और सुरेंद्र कुमार, दो जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और प्रवेश कुमार को दोषी पाया है। वहीं सातवें आरोपी और सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया है। मामले के आठवें और नाबालिग आरोपी की अलग सुनवाई हो रही है। बचाव पक्ष के वकीलों ने फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है।
मानवता को शर्मसार करने वाला है मामला
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक मुस्लिम बकरवाल बच्ची की हत्या और रेप किया गया। बच्ची को कई दिनों तक ड्रग्स देकर बेहोश रखा गया था। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अप्रैल 2018 में चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट के मुताबिक, कठुआ रसाना गांव में आठ साल की एक बच्ची का अपहरण किया गया। उसके बाद गांव के धार्मिक स्थल में उसके साथ चार दिन तक कथित तौर पर रेप किया गया और लाठी से पीटकर हत्या कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पठानकोट ट्रांसफर हुई सुनवाई
जब क्राइम ब्रांच इस मामले में चार्जशीट दायर करने जा रही थी तब रास्ते में वकीलों और भीड़ ने उनका रास्ता रोका। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले का ट्रायल जम्मू से बाहर पठानकोट में किया जाएगा। ट्रायल के दौरान कैमरे के सामने कार्रवाई का आदेश भी दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीड़िता के परिवार, गवाहों और कागजातों को प्रभावित किए जाने की आशंका है।
दोषियों के समर्थन में भाजपा के मंत्रियों ने निकाली थी रैलियां
देशभर में चर्चा का विषय बनी इस घटना के बाद हिंदूवादी संगठनों ने आरोपियों के समर्थन में रैलियां निकाली थीं। तब जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता चौधरी लाल सिंह और सीपी गंड़ा ने इन रैलियों में हिस्सा लिया था। इसे लेकर जब विवाद बढ़ा तो मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। चौधरी लाल सिंह और दो आरोपियों ने इस मामले में CBI जांच की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।