दिल्ली: हिंदूवादी संगठनों ने की कुतुब मीनार का नाम बदलने की मांग, प्रदर्शन किया
हिंदूवादी संगठन महाकाल मानव सेना के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कुतुब मीनार का नाम बदलने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। दिल्ली के महरौली स्थित इस ऐतिहासिक इमारत के पास हुए प्रदर्शन में इन लोगों ने मांग की कि कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किया जाए। प्रदर्शन के अलावा यूनाइटेड हिंदू फ्रंट समेत कुछ अन्य संगठनों ने भी यहां हनुमान चालिसा का पाठ किया, जिसके बाद कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
यूनाइटेड हिंदू फ्रंट का दावा- मंदिर तोड़कर बनाया गया कुुतुब मीनार
यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कहा कि कुतुब मीनार असल में विष्णु स्तंभ ही है और इसे जैन और हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है। फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल के आह्वान पर यह प्रदर्शन किया गया था। उन्होंने अन्य हिंदुवादी संगठनों को हनुमान चालीसा के पाठ में शामिल होने को बुलाया और कहा कि उन्हें यहां प्रार्थना करने की मंजूरी दी जानी चाहिए। प्रदर्शन को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
विश्व हिंदू परिषद ने की मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग
इससे पहले शनिवार को विश्व हिंदू परिषद ने मांग की थी कि कुतुब मीनार परिसर में प्राचीन मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जाए और हिंदू पूजा-पाठ फिर से शुरू किया जाए। परिषद के नेताओं के एक समूह ने कुतुब मीनार परिसर का दौरा भी किया था। परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ने के बाद इकट्ठा किए गए सामान से कुतुब मीनार का निर्माण किया गया और यह वास्तव में विष्णु स्तंभ है।
विश्व धरोहर है कुतुब मीनार
कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाई गई कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को ने विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया था। करीब 72.5 मीटर ऊंची इस मीनार को 13वीं सदी में बनाया गया था और यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची मीनार है। बताया जाता है कि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था और इल्तुत्मिश के राज में इसका काम पूरा हुआ। इसके निर्माण के प्रक्रिया 75 साल तक चली थी।
इस दावे पर क्या कहते हैं जानकार?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बीआर मणि ने विश्व हिंदू परिषद के दावों कल्पना करार दिया है। TV9 के अनुसार, मणि ने कहा कि कुतुब मीनार की सरंचना में किसी भी तरह का बदलाव इसके ऐतिहासिक धरोहर होने का दर्जा खो देगा। उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि मंदिरों के अवशेषों का इस्तेमाल इसके निर्माण में किया गया, लेकिन ये कोई नहीं जानता कि वे मंदिर कहां थे और उनका स्वरूप क्या था।
ताजमहल के कमरे खोलने की भी हो रही मांग
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर ताजमहल के 20 कमरे खोलने की मांग की गई है। अयोध्या के भाजपा नेता डॉ रजनीश सिंह की तरफ से दायर याचिका में मांग की गई है कि ASI को 20 कमरे खोलने का निर्देश दिया जाए ताकि पता लगाया जा सके कि क्या वहां हिंदू देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। हालांकि, सरकार ने 2015 में बताया था कि ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के कोई सबूत नहीं हैं।