गुजरातः पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा, जानिये क्या था मामला
गुजरात के जामनगर की सेशन कोर्ट ने पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की कैद सुनाई है। निचली अदालत ने उन्हें 1990 के एक हिरासत में मौत के मामले में दोषी पाया है। उनके साथ प्रवीन सिंह झाला और दूसरे पुलिस अधिकारियों को दोषी पाया गया है। इस मामले में अदालत ने छह आरोपियों को दोषी पाया था, जिनमें से पांच को अभी सजा सुनाया जाना बाकी है। आइये, जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
लगभग 30 साल पुराना है मामला
यह मामला नवंबर 1990 का है। तब जामनगर में सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर तैनात संजीव भट्ट ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर भारत बंद के दौरान दंगा करने के मामले में 133 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से एक प्रभुदास माधवजी वैश्नानी थे। उन्हें नौ दिन तक पुलिस हिरासत में रखा गया था। जमानत पर रिहा होने के बाद उनकी मौत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक प्रभुदास का मौत गुर्दा फेल होने से हुई थी।
गुजरात हाई कोर्ट ने लगा रखी थी रोक
यह मामला सामने आने के बाद भट्ट और दूसरे पुलिस अधिकारियों पर केस दर्ज किया गया था। साल 1995 में मजिस्ट्रेट ने इस मामले का संज्ञान लिया। हालांकि गुजरात हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के कारण 2011 तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। 2011 में कोर्ट ने यह रोक हटा दी, जिसके बाद इस मामले में कार्रवाई आगे बढ़ाई। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की यह याचिका
भट्ट ने इस मामले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी इस कुछ और गवाहों के बयान लिए जाए। उन्होंने कहा कि मामले में 300 गवाहों के बयान दर्ज किए जाने थे, लेकिन निचली अदालत ने कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के अलावा किसी भी गवाह के बयान दर्ज नहीं किए। उन्होंने कहा कि मामले की जांच करने वाले तीन पुलिस अधिकारियों और अन्य गवाहों के बयान नहीं लिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यह याचिका रद्द कर दी थी।
संजीव भट्ट की पत्नी ने लड़ा नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव
लंबे समय तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण संजीव भट्ट को 2011 में नौकरी से निलंबित कर और 2015 में बर्खास्त कर दिया गया। उनकी पत्नी ने 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव लड़ा था।
1996 के मामले में जेल में है भट्ट
पिछले महीने भट्ट को 1996 के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। 1996 में भट्ट बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे। उनके नेतृत्व में बनासकांठा पुलिस ने एक वकील को एक किलोग्राम मादक पदार्थ रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में राजस्थान पुुलिस ने जांच में खुलासा किया था कि बनासकांठा पुलिस ने वकील को इस मामले में कथित तौर पर झूठे तौर फंसाया था। बता दें, अगस्त में भट्ट हार्दिक पटेल से मिलने उनके घर गए थे।