जेट एयरवेज की 538 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की कार्रवाई
जेट एयरवेज और इसके संस्थापक नरेश गोयल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेट एयरवेज पर कड़ी कार्रवाई की है। ED ने जेट एयरवेज और नरेश गोयल परिवार की 538 करोड़ की संपत्ति अस्थायी तौर पर कुर्क की है। ये मामला केनरा बैंक से 538 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। इस मामले में कल ही ED ने आरोपपत्र दायर किया था।
ED ने 17 संपत्तियां की कुर्क
ED ने जानकारी देते हुए कहा कि जेट एयरवेज के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच में धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत 538.05 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है। कुर्क की गई संपत्तियों में विभिन्न कंपनियों और व्यक्तियों के नाम पर 17 आवासीय फ्लैट/बंगले और वाणिज्यिक परिसर शामिल हैं। ये संपत्ति जेट एयरवेज की कंपनियों, नरेश गोयल, उनकी पत्नी अनीता गोयल और बेटे निवाण गोयल के नाम पर हैं।
ED ने 31 अक्टूबर को दायर किया था आरोपपत्र
ED ने इस मामले में 31 अक्टूबर को गोयल और 5 अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि गोयल के खिलाफ जल्द ही बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। मामले से जुड़े एक वकील ने बताया था कि गोयल और अन्य लोगों के खिलाफ एक अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया, जिस पर 1 नवंबर को संज्ञान लेने की संभावना है।
जेल में बंद हैं नरेश गोयल
1 सितंबर को ED ने गोयल को गिरफ्तार किया था। वे फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं। ED ने 1 सितंबर को गोयल को पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे पहले भी गोयल को 2 बार पूछताछ के लिए तलब किया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए थे। ED ने जिन संपत्तियों को कुर्क किया है, वो भारत के कई राज्यों के अलावा लंदन और दुबई में हैं।
क्या है मामला?
ये मामला बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। नवबंर, 2022 में केनरा बैंक ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को शिकायत की थी कि जेट एयरवेज ने 848.86 करोड़ रुपये का लोन लिया था, इसमें से 538.62 करोड़ रुपये बकाया है। बैंक की शिकायत पर CBI ने मई, 2023 में जेट एयरवेज पर FIR दर्ज की थी और कई जगहों पर छापे भी मारे थे। CBI की FIR के आधार पर ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
गोयल पर क्या हैं आरोप?
रिपोर्ट के मुताबिक, गोयल ने लोन की राशि का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्च जैसे वेतन, वाहन खर्च और टेलीफोन बिल पर किया और इसे कंपनी के खाते में जोड़ा। केनरा बैंक ने जेट एयरवेज की फॉरेंसिक ऑडिट की थी। इसमें पता चला कि जेट ने लोन की राशि को बट्टा खाते में डालने के लिए संबंधित कपंनियों को 1,410.41 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इसके अलावा कंपनी की बैलेंस शीट में भी छेड़छाड़ के आरोप हैं।
ED की जांच में क्या बातें सामने आईं?
ED के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2011 से 30 जून, 2019 के बीच जेट एयरवेज ने प्रोफेशनल और कंसल्टेंसी पर 1152.62 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इनमें से 420.43 करोड़ रुपये ऐसी कंपनियों को दिए गए, जिनका इस तरह के काम से कोई लेना-देना ही नहीं था। ED ने आरोप लगाया है कि गोयल ने दूसरे देशों में ट्रस्ट बनाकर पैसों की हेराफेरी की और कथित तौर पर इनका इस्तेमाल अचल संपत्तियों को खरीदने के लिए किया गया।
न्यूजबाइट्स प्लस
जेट एयरवेज की शुरुआत एयर टैक्सी के रूप में हुई थी। नरेश गोयल के नेतृत्व में कंपनी ने 4 जहाजों के बेड़े के साथ अपनी शुरुआत की थी। 5 मई, 1993 को कंपनी की पहली फ्लाइट ने मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ान भरी थी। दिसंबर, 2018 तक जेट एयरवेज के पास बोइंग 777 और एयरबस A330, सिंगल B737 और टर्बोप्रॉप ATR के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे। 2007 में जेट एयरवेज ने एयर सहारा का अधिग्रहण किया था।