
पॉक्सो कानून में बदलाव, बच्चों के साथ यौन अपराध पर अब सजा-ए-मौत
क्या है खबर?
केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को पॉक्सो (POCSO) कानून के प्रावधानों में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
इनके तहत बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में दंड को पहले से कठोर बनाने के उपाय किए गए हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि पॉक्सो कानून को न केवल मजबूत किया गया है बल्कि इसका विस्तार भी किया गया है।
अब 12 साल से कम उम्र के लड़कों के साथ दुष्कर्म के जुर्म में फांसी का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश
कठुआ गैंगरेप के बाद सरकार लाई अध्यादेश
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप की घटना के बाद सरकार अप्रैल में एक अध्यादेश लेकर आई थी।
इसके बाद सरकार ने मानसून सत्र भारतीय दंड सहिंता में संशोधन का एक विधेयक पास किया।
इसके तहत 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ गैंगरेप करने पर मौत की सजा या 20 साल की कैद और 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप करने पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया था।
सवाल
सजा में भिन्नता को लेकर उठे सवाल
साल 2012 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया था।
इस साल मानसून सत्र में पास किए गए विधेयक के बाद नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान था, लेकिन लड़कों के मामलों में इसमें कम सजा का प्रावधान था।
अब संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है।
कानून
क्या है पॉक्सो कानून?
बच्चों के खिलाफ यौन अपराध रोकने के लिए साल 2012 में बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) कानून बनाया गया था।
बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों और छेड़छाड़ के मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
इस कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा बच्चे के माता-पिता की मौजूदगी में होती है।
इसके कानून में अलग-अलग प्रावधानों के तहत अलग-अलग सजाएं तय की गई हैं।