1984 दंगे: पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार 3 सिखों की हत्या के मामले में बरी
क्या है खबर?
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान सुल्तानपुरी इलाके की घटना से जुड़े एक मामले में आज फैसला सुनाया।
कोर्ट ने मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। ये मामला 3 सिखों की हत्या से जुड़ा था। इस मामले में कुमार पर भीड़ को उकसाने का आरोप था।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इन आरोपियों पर लगे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।
मामला
13 साल पहले तय हुए थे आरोप
13 साल पहले जुलाई, 2010 में सज्जन कुमार, ब्रह्मानंद, पेरु, कुशल सिंह और वेद प्रकाश के खिलाफ कड़कड़डुमा कोर्ट ने सिख विरोधी दंगों के दौरान सुल्तानपुरी में 6 लोगों की हत्या के मामले में आरोप तय किए थे।
इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की गवाह चाम कौर ने कहा था कि कुमार ने तब भीड़ को हत्या के लिए उकसाया था। हालांकि, इस संबंध में अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका।
सज्जन कुमार
पीड़ित परिवार कोर्ट के फैसले से आहत
1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सुल्तानपुरी इलाके की घटना से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों को बरी किए जाने पर पीड़ित परिवार आहत है।
पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने अपने बयान में कहा, "यह बहुत गलत है कि कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। ऐसा करके हमारे घावों पर नमक छिड़का गया है। हम 39 साल से लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं।"
सज्जन कुमार
सज्जन कुमार पर हैं कई आरोप
सज्जन कुमार पर सुल्तानपुरी के अलावा पश्चिमी दिल्ली के राजनगर, जनकपुरी और विकासपुरी में दंगे कराने का भी आरोप है। कुमार ने 31 दिसंबर, 2018 को कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
अगस्त में कोर्ट ने जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या से जुड़े मामले में कुमार के खिलाफ आरोप तय किये थे।
कोर्ट ने कुमार के खिलाफ IPC की धारा 147, 148, 153A, 295R/W149, 307,308, 323, 325, 395 और 436 के तहत आरोप तय किये थे।
जनकपुरी
क्या है जनकपुरी और विकासपुरी सिखों की हत्या का मामला
फरवरी 2015 में एक विशेष जांच दल (SIT) ने सिख विरोधी दंगों के दौरान जनकपुरी और विकासपुरी में हिंसा की शिकायतों के आधार पर सज्जन कुमार के खिलाफ दो FIR दर्ज की थीं।
जनकपुरी मामले में 1 नवंबर, 1984 को सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या कर दी गई थी।
दूसरा मामला विकासपुरी का है और 2 नवंबर, 1984 को गुरचरण सिंह को जलाने से संबंधित है।
दंगा
न्यूजबाइट्स प्लस
1984 के सिख विरोधी दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे। उनके सिख अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उनकी हत्या की थी।
इंदिरा गांधी ने सिख आतंकवाद को दबाने के लिए सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' चलवाया था। 6 जून को ऑपरेशन में भिंडरावाले की मौत हो गई थी।
इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। इससे दिल्ली और पंजाब सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।