हालिया महीनों में कश्मीरी पंडितों के 17 परिवारों ने छोड़ा कश्मीर, आतंकी हमलों के कारण दहशत
लक्षित हत्याओं में इजाफे के कारण पिछले कुछ महीनों में कश्मीरी पंडितों के कम से कम 17 परिवार कश्मीर छोड़ चुके हैं। सोमवार को ही कश्मीरी पंडितों के 10 परिवार दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले स्थित अपने गांव को छोड़कर जम्मू चले गए। कुछ दिन पहले ही आतंकवादियों ने उनके गांव में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी थी, जिसके बाद दहशत में आकर उन्होंने अपना घर छोड़ा है। इन परिवारों में मिलाकर 35-40 लोग हैं।
चौधरीगुंड गांव में 15 अक्टूबर को की गई थी कश्मीरी पंडित की हत्या
सोमवार को कश्मीर छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों के परिवार शोपियां के चौधरीगुंड गांव से संबंध रखते हैं। 15 अक्टूबर को आतंकियों ने गांव में पूरन कृष्ण भट नामक कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तभी से गांव के कश्मीरी पंडित दहशत में थे और अब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया है। गांव के निवासियों के अनुसार, इन पंडितों ने 1990 के दशक के मुश्किल समय में भी कश्मीर नहीं छोड़ा था, लेकिन अब उन्हें मजबूर होना पड़ा।
घाटी में कश्मीरी पंडितों के रहने लायक माहौल नहीं- ग्रामीण
गांव के एक निवासी ने कहा, "कश्मीर घाटी में हमारे रहने लायक माहौल नहीं है। हत्याओं के कारण हम दहशत में जीते हैं। हमारे लिए कोई सुरक्षा नहीं है।" ग्रामीणों ने कहा कि उनके बार-बार सुरक्षा मांगने के बावजूद उनके गांव से दूर पुलिस चौकी बनाई गई है। हाल ही में जान की धमकी का सामना करने वाले एक ग्रामीण ने समाचार एजेंसी PTI से कहा कि 10 परिवारों के जाने के बाद गांव पूरा खाली हो गया है।
सेब की पकी हुई फसल को ऐसे ही छोड़ गए कश्मीरी पंडितों के परिवार
मामले पर द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिकू ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के परिवार सेब की अपनी पकी हुई फसल को बिना काटे और बेचे ही जम्मू चले गए हैं। उन्होंने कहा कि वह इन परिवारों से बात करेंगे। टिकू ने बताया कि उन्हें कश्मीर के अन्य इलाकों में रह रहे कश्मीरी पंडितों के फोन भी आ रहे हैं, जो हत्याओं की वजह से दहशत में हैं।
इस साल तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या कर चुके है आतंकी
बता दें कि इस साल कश्मीर में कम से कम 22 लोगों की लक्षित हत्याएं की गई हैं जिनमें तीन कश्मीरी पंडित शामिल हैं। चौधरीगुंड में कृष्ण भट की हत्या से पहले 16 अक्टूबर को शोपियां में ही आतंकियों ने एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी थी। हमले में उसका भाई घायल हुआ था। इससे पहले 12 मई को आतंकियों ने बडगाम में तहसीलदार के दफ्तर में घुसकर कश्मीरी पंडित राहुल भट की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
अक्टूबर में की गई थी जाने-माने कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की हत्या
इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया था। तब आतंकियों ने जाने-जाने केमिस्ट और कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक कुल सात कश्मीरी पंडितों की हत्या की जा चुकी है। इसके अलावा बाहर से आई प्रवासी मजदूरों और कश्मीरी पंडितों का समर्थन करने वाले मुस्लिमों की भी हत्याएं की गई हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
1990 के दशक में आतंकी हमलों और नरसंहार की धमकियों के कारण कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। तब एक लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ था, लेकिन उनके लगभग 800 परिवारों ने अपने पूर्वजों की जमीन को नहीं छोड़ा था। अभी इनमें से 600 परिवार शोपियां, अनंतनाग, कुलगाम और पुलवामा में रहते हैं, वहीं 200 परिवार केंद्रीय कश्मीर में रहते हैं। उत्तर कश्मीर में भी कश्मीरी पंडितों के लगभग 25 परिवार रहते हैं।