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    #NewsBytesExclusive: बच्चों में क्यों बढ़ रहे फैटी लिवर के मामले, बाल विशेषज्ञ से जानें वजह
    शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रीति विजय ने बताई बच्चों में फैटी लिवर के मामले बढ़ने की वजह

    #NewsBytesExclusive: बच्चों में क्यों बढ़ रहे फैटी लिवर के मामले, बाल विशेषज्ञ से जानें वजह

    लेखन अंजली
    Jun 10, 2023
    06:03 pm

    क्या है खबर?

    पिछले कुछ समय में बच्चों में फैटी लिवर के मामलों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है।

    अमेरिकन लिवर फाउंडेशन के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में फैटी मामलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है और 22.4 प्रतिशत बच्चे इसकी चपेट में हैं।

    इस गंभीर विषय पर जब न्यूजबाइट्स हिंदी ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रीति विजय से विशेष बातचीत की तो उन्होंने बच्चों में फैटी लिवर होने की मुख्य वजह सहित अन्य कई महत्वपूर्ण बातें बताई।

    बीमारी

    फैटी लिवर क्या है और यह बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

    डॉ प्रीति ने बताया कि फैटी लिवर एक बीमारी है, जो लिवर की कोशिकाओं में ज्यादा फैट जमा होने की वजह से होती है। बच्चों में 2 प्रकार का फैटी लिवर (सिंपल और नॉन-एल्कोहलिक) होता है।

    उन्होंने बताया कि सिंपल में बच्चे के लिवर में अतिरिक्त फैट (ट्राइग्लिसराइड्स) जमा होता है, लेकिन कोई सूजन या कोशिका नुकसान नहीं होता है, वहीं दूसरे प्रकार में बच्चों के लिवर में अतिरिक्त फैट के साथ-साथ सूजन और कोशिका नुकसान भी होता है।

    उम्र

    बच्चो में फैटी लिवर होने की संभावना किस उम्र में रहती है?

    डॉ प्रीति का कहना है कि फैटी लिवर की संभावना आज के समय में किशोरावस्था में सबसे ज्यादा बढ़ गई है और इसका मुख्य कारण गलत खान-पान है। उन्होंने कहा कि बच्चों की बिगड़ी जीवनशैली भी इस बीमारी का कारण बन सकती है।

    उन्होंने यह भी कहा कि 4 से 6 साल के बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, जबकि नवजात और महीनेभर के बच्चों में इसकी संभावना कम है।

    कारण

    बच्चों में फैटी लिवर होने के कारण

    डॉ प्रीति के मुताबिक, "गलत खान-पान और बिगड़ी जीवनशैली इस बीमारी के मुख्य कारण हैं, लेकिन कुछ बीमारियां जैसे ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज, कोलेस्टेरिल एस्टर स्टोरेज डिजीज (CESD) और विल्सन रोग भी इसकी जिम्मेदार हो सकती हैं।"

    उन्होंने यह भी कहा कि अध्ययनों पर ध्यान दें तो 80 प्रतिशत बच्चे मोटापे की वजह से फैटी लिवर की चपेट में आते हैं, जबकि 20 प्रतिशत मामलों का कारण रोग और जन्मजात समस्याएं हैं।

    लक्षण

    बच्चों में फैटी लिवर होने पर मिलते हैं ये शारीरिक संकेत

    डॉ प्रीति ने बताया कि बच्चों में फैटी लिवर होने से पहले शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें बीमारी के लक्षण माना जा सकता है। इसमें बढ़ता वजन, पेट का फूलना, भूख न लगना, जी मचलाना, उलटी होना और बच्चे की गर्दन पर काले रंग की लाइन का बनना आदि शामिल हैं।

    उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान लड़कियों में अनियमित पीरियड्स या चेहरे पर बाल आना भी फैटी लिवर होने का शुरूआती संकेत हो सकता है।

    टेस्ट

    फैटी लिवर का पता लगाने के लिए बच्चों के कौन-कौन से टेस्ट करवाने चाहिए?

    डॉ प्रीति के अनुसार, "बच्चों में फैटी लिवर का पता लगाने का सबसे बेसिक टेस्ट है कि माता-पिता उनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI), लंबाई और त्वचा की परत को चेक करें। इसके अतिरिक्त, बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि वह बच्चे की स्थिति को समझकर आपको कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सके।"

    उन्होंने बताया कि डॉक्टर आपको बच्चों का लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासोनोग्राफी और फाइब्रोस्कैन टेस्ट कराने को कह सकते हैं।

    उपचार

    बीमारी के स्टेज और उपचार

    डॉ प्रीति ने कहा, "फैटी लिवर के 4 स्टेज होते हैं। अगर बच्चा फैटी लिवर के स्टेज-1 और स्टेज-2 में हैं तो खान-पान और जीवनशैली में हेल्दी आदतों को शामिल करके स्थिति को सामान्य किया जा सकता है, लेकिन अगर बीमारी स्टेज-3 तक पहुंच गई है तो बच्चे की कॉउंसलिंग की जाती है।"

    डॉ प्रीति ने बताया कि अगर बच्चा फैटी लिवर के स्टेज-4 पर है तो लिवर बायोप्सी करने के बाद उसका इलाज किया जाता है।

    खान-पान

    फैटी लिवर होने पर बच्चों का खान-पान कैसा होना चाहिए?

    डॉ प्रीति का कहना है कि बच्चों को जंक फूड से दूर रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अतिरिक्त डब्बा बंद चीजें, कोल्ड ड्रिंक्स, चीज़, तेल और मिठाई आदि से भी उन्हें परहेज करवाना चाहिए।

    इसके बाद उन्होंने बताया कि बच्चों की डाइट में हाई फाइबर चीजों को शामिल करना सबसे ज्यादा अच्छा है। इसके अलावा फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, छाछ और लस्सी का सेवन करना भी उनके लिए अच्छा है।

    एक्सरसाइज

    बच्चों को फैटी लिवर से बचाने में मदद कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

    डॉ प्रीति के मुताबिक, "बच्चों को फैटी लिवर से सुरक्षित रखने के लिए उनका स्क्रीन टाइम कम करके उन्हें आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी दिनचर्या में एक्सरसाइज उम्र के हिसाब से होनी चाहिए।"

    उन्होंने बताया कि अगर बच्चा 4 से 6 साल का है तो साइकिलिंग और स्विमिंग उसके लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज है, वहीं किशोरों को रोजाना कुछ मिनट रनिंग और ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए।

    विशेषज्ञ

    पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट में DM हैं डॉ प्रीति 

    डॉ प्रीति वर्तमान में राजस्थान की राजधानी जयपुर में बच्चों के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेके लॉन में पेट, लीवर और आंत रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत है। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में 9 साल से अधिक का अनुभव है।

    उन्होंने डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (DM) की डिग्री पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट में की है और वह बच्चों के लिवर स्वास्थ्य से जुड़े विषयों की विशेषज्ञ हैं।

    उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

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