देव आनंद के इन राेचक किस्सों के बगैर अधूरा है हिंदी सिनेमा का इतिहास
क्या है खबर?
बॉलीवुड में न जाने कितने हीरे आए और चले गए, लेकिन कुछेक ही हैं, जिनके किस्से-कहानियां आज भी लोकप्रिय हैं और उनका जिक्र किए बगैर सचमुच बॉलीवुड का इतिहास अधूरा है।
उन्हीं में से एक हैं 1923 में पंजाब के गुरदासपुर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे देव आनंद।
आज यानी 26 सितंबर को एक्टिंग के स्कूल कहे जाने वाले आनंद की 100वीं जयंती के मौके पर आइए आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्सों से रूबरू कराते हैं।
#1
काले कोट का जादू ऐसा चला कि कोर्ट ने लगा दिया बैन
सफेद कमीज और काले कोट के फैशन को आनंद ने लोकप्रिय बनाया। उनके काले कोट पहनने के दौरान कुछ लड़कियों की आत्महत्या की घटनाएं सामने आईं।
कहा जाता है कि कोट पैंट में आनंद इतने हैंडसम लगते थे कि लड़कियां उन्हें देखकर छत से छलांग लगा देती थीं।
यह देख् कोर्ट ने आनंद को काला कोट पहनकर घूमने पर पाबंदी लगा दी। पहली बार किसी अभिनेता के लिए इस हद तक दीवानगी देखी गई और कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा
#2
30 रुपये लेकर मायनगरी में दी दस्तक
आनंद ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की शिक्षा 1942 में लाहौर में पूरी की। वह आगे भी पढ़ना चाहते थे, लेकिन उनके पिता के पास उनकी आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। यहीं से आनंद का बॉलीवुड में सफर भी शुरू हो गया।
जब 1943 में देव साहब मुंबई आए थे तो उनकी जेब में सिर्फ 30 रुपये थे। इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और काम के प्रति समर्पण से इन 30 रुपयों को लाखों में बदल दिया।
#3
सैनिकाें की चिट्ठी पढ़ने की नौकरी
आनंद ने काम के सिलसिले में कइयों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन निराशा ही हाथ लगी।
सपनों की नगरी में खुद के सपनों से दूर जाता देख उन्होंने 85 रुपये मासिक वेतन के साथ एक जगह क्लर्क की नौकरी कर ली। कुछ समय बाद उन्हें यह नौकरी रास नहीं आई तो छोड़ दी।
इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश आर्मी के सेंसर ऑफिस में काम किया। वहां उनका काम सेना के अधिकारियों के लिखे खतों को पोस्ट करने से पहले पढ़ने का था।
#4
आनंद के लिए ताउम्र कुंवारी रहीं सुरैया
बॉलीवुड की मशहूर प्रेम कहानियों में सुरैया और देव आनंद की प्रेम कहानी का जिक्र जरूर होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पहली बार आनंद और सुरैया फिल्म 'विद्या' के सेट पर मिले थे और पहली नजर में ही एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे।
हालांकि, अलग धर्म होने की वजह से सुरैया की नानी को यह रिश्ता बर्दाश्त नहीं था। उन्होंने दोनों को एक नहीं होने दिया। इसके बाद सुरैया उनके प्यार में ताउम्र कुंवारी रहीं।
#5
लंच ब्रेक में की शादी
सुरैया से दूर होकर आनंद अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए और एक बार फिर उनके जीवन में प्यार ने दस्तक दी। उनका दिल आया अभिनेत्री कल्पना कार्तिक पर।
1954 में फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' के सेट पर आनंद ने कल्पना को देखा था। सेट पर ही दोनों के बीच प्यार हुआ। फिर एक दिन दोनों ने लंच ब्रेक में शादी कर ली।
कल्पना ने केवल 5 फिल्में कीं और उन पांचों फिल्मों में उनके हीरो आनंद ही थे।
#6
फिल्म 'गाइड' से खूब कमाया नाम
आनंद ने 1946 में फिल्म 'हम एक हैं' से अपने अभिनय की नींव रखी थी। पहली फिल्म ने ही साबित कर दिया था कि आनंद रुकने वाले नहीं हैं।
उनकी फिल्म 'गाइड' ने दुनियाभर में कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़े।
यह एकमात्र भारतीय फिल्म रही, जिसे 2008 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया। यह सबसे ज्यादा 7 फिल्मफेयर पुरस्कार पाने वाली पहली हिंदी फिल्म बनी।
भारत की तरफ से इस फिल्म को ऑस्कर में भी भेजा गया था।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
लगभग 100 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके आनंद ने 4 फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम किए। भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार ने प्रतिष्ठित पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया था। आनंद को दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी मिला।