आशीष विद्यार्थी ने 60 की उम्र में रचाई दूसरी शादी, रुपाली बरुआ बनीं दुल्हन
क्या है खबर?
दिग्गज अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने गुरुवार को दूसरी शादी रचाई है। एक निजी समारोह में विद्यार्थी ने असम की रुपाली बरुआ से शादी रचाई।
60 वर्ष के विद्यार्थी अपनी जिंदगी की नई पारी की शुरुआत करके बेहद खुश हैं। जैसे ही उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी शादी की तस्वीरें शेयर कीं, उनके प्रशंसक हैरान रह गए। विद्यार्थी और बरुआ को सोशल मीडिया पर लगातार शादी की बधाइयां मिल रही हैं।
आयोजन
बिजनेस करती हैं रुपाली
विद्यार्थी और बरुआ ने गुरुवार को सुबह कोर्ट मैरेज की। इसके बाद शाम को उन्होंने एक निजी समारोह का आयोजन किया, जिसमें उनके करीबी लोग और परिवार वाले ही शामिल हुए।
असम की रहने वाली रुपाली कोलकाता में बिजनेस करती हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका कोलकाता में अपना फैशन स्टोर है। इसके अलावा वह अपनी दोस्तों के साथ मिलकर एक कैफे भी चलाती हैं। साथ ही उनका एक बुटीक भी है।
रिश्ता
विद्यार्थी ने टाली लव स्टोरी की बात
विद्यार्थी ने रुपाली से शादी पर कहा कि जीवन के इस पड़ाव पर रुपाली से शादी करना एक अद्भुत फीलिंग है। हालांकि, इस रिश्ते की शुरुआत कैसे हुई, इस सवाल को विद्यार्थी ने टाल दिया।
विद्यार्थी ने कहा कि यह एक लंबी कहानी है, जिसे वह फिर कभी बताएंगे।
रुपाली ने कहा कि दोनों की मुलाकात कुछ समय पहले ही हुई थी और उन्होंने अपने रिश्ते को बढ़ाने का फैसला किया। रुपाली ने कहा कि विद्यार्थी बहुत अच्छे इंसान हैं।
पहली शादी
रजोशी विद्यार्थी थीं पहली पत्नी
विद्यार्थी ने पहली शादी रजोशी विद्यार्थी से की थी। रजोशी को पीलू विद्यार्थी के नाम से भी जाना जाता है। राजोशी एक अभिनेत्री और सिंगर हैं। दोनों का 1 बेटा भी है।
अपने एक यूट्यूब वीडियो में विद्यार्थी ने कहा था कि उनके बेटे की अभिनय में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं है। बल्कि वह गणित और विज्ञान में रुचि रखता है और उसी में अपना करियर बनाना चाहता है।
करियर
300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं विद्यार्थी
विद्यार्थी दिग्गज अभिनेता हैं। वह 11 भाषाओं में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। अपने बेजोड़ अभिनय से वह खलनायक के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं।
विद्यार्थी ने 1992 की फिल्म 'सरदार' से अपने सफर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में उन्होंने वीपी मेनन का किरदार निभाया था।
'1942: ए लव स्टोरी','सोल्जर' जैसी फिल्मों से उन्हें खूब लोकप्रियता मिली।
1995 की फिल्म 'द्रोहकाल' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।