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पिता करते हैं पंचर बनाने का काम, बेटी ने पास की NEET परीक्षा; अब बनेंगी डॉक्टर
पंचर बनाने वाले की बेटी ने पास की NEET परीक्षा

पिता करते हैं पंचर बनाने का काम, बेटी ने पास की NEET परीक्षा; अब बनेंगी डॉक्टर

लेखन राशि
Jun 15, 2023
12:45 pm

क्या है खबर?

'जो अपने हालातों से लड़ना जानते है, वो शिखर पर भी पहुंचना जानते है।' ये पंक्तियां महाराष्ट्र की रहने वाली मिस्बाह पर सटीक बैठती हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (NEET) परीक्षा पास कर ली है। मिस्बाह की सफलता आम छात्रों की तरह नहीं है। इस सफलता के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा और उन्होंने आर्थिक परेशानी के बीच पढ़ाई करते हुए ये कामयाबी हासिल की है। आइए जानते हैं मिस्बाह की कहानी।

महाराष्ट्र

पिता करते हैं पंचर बनाने का काम

मिस्बाह महाराष्ट्र के जालना शहर की रहने वाली हैं। उनके पिता मोटरसाइकिल के पंचर बनाने का काम करते हैं और मां गृहिणी है। मिस्बाह आर्थिक परेशानियों की बीच पली-बढ़ी हैं। उन्होंने 12वीं पास करने के बाद NEET पास करने का लक्ष्य बनाया। वो सुबह से लेकर शाम तक केवल पढ़ाई करती थीं। माता-पिता ने भी अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की और अब उन्हें मेहनत का फल मिला है।

निशुल्क

निशुल्क कोचिंग से मिला सहारा

मिस्बाह ने जब NEET की तैयारी का सोचा तो माता-पिता सोच में पड़ गए। दरअसल, उनके पास बेटी को कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे, लेकिन इसी समय अंकुश सर की निशुल्क कोचिंग मिस्बाह के लिए तोहफा बन कर सामने आई। मिस्बाह ने 2-3 सालों तक जालना में अंकुश सर की कक्षा में निशुल्क NEET की तैयारी की और सफलता पाई। अंकुश ने बताया "हम गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग देते हैं, इसी योजना के तहत मिस्बाह को मदद मिली।"

बचपन

बचपन से पढ़ाई में अव्वल रहीं है मिस्बाह

मिस्बाह के पास भले ही संसाधनों की कमी रही हो, लेकिन वो बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही हैं। उन्होंने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए और 12वीं की परीक्षा में 86 प्रतिशत अंक पाए। NEET परीक्षा में भी उन्होंने 720 में से 633 अंक हासिल किए। मिस्बाह को बचपन से ही जीवविज्ञान विषय पसंद था और इस विषय में उन्हें अच्छे नंबर मिलते थे। ऐसे में उन्होंने NEET की तैयारी का मन बनाया।

मिस्बाह

मिस्बाह करना चाहती हैं गरीबों की सेवा

मिस्बाह कहती हैं "मैंने गरीबी को करीब से देखा है, घर के खराब हालतों के बीच दिन रात पढ़ाई की है। मैं आगे चलकर MBBS डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती हूं।" बेटी की सफलता पर पिता का कहना है कि अगर अंकुश सर का मार्गदर्शन नहीं मिलता तो मिस्बाह सफल नहीं हो पाती। उसके डॉक्टर बनने की यात्रा में अंकुश सर का महत्वपूर्ण योगदान हैं। मिस्बाह की सफलता के बाद परिवार में जश्न का माहौल है।