जानें इन शिक्षकों की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने वंचित छात्रों की दी शिक्षा
आज के समय में सभी कमाने और अच्छा भविष्य बनाने के लिए काम करते हैं। वहीं शिक्षण को भी लोग एक प्रोफेशन के तौर पर लेते हैं, लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने काम को सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं समझते हैं। कई ऐसे शिक्षक हैं जो वंचित छात्रों को फ्री में पढ़ाते हैं। उन्होंने कई गरीब बच्चों का भविष्य बनाया और उनके जीवन का लक्ष्य भी यही है। आज हम ऐसे ही शिक्षकों की प्रेरणादायक कहानियां बताएंगे।
पटना के आनंद कुमार हैं सभी के लिए प्रेरणा
बिहार के जाने-माने शिक्षक और सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार की कहानी से कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। वे कई लोगों के लिए मिसाल हैं। आनंद कुमार पटना में सुपर-30 नामक कोचिंग संस्थान चलाते हैं, जहां वंचित छात्रों को IIT JEE की तैयारी कराई जाती है। हर साल यहां से पढ़ाई करने वाले कई छात्रों का प्रवेश IIT जैसी टॉप संस्थानों में होता है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए आनंनद उनसे कोई फीस नहीं लेते हैं।
9वीं पास होने के बाद भी पढ़ाया गांव के बच्चों को
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला के केशव सरण ने भी लोगों के लिए एक मिसास कायम की है। लगभग 70 साल के केशव खुद 9वीं पास होने के कारण शिक्षा का महत्व अच्छी से समझते थे। उनके पास बहुत कम ज्ञान था, फिर भी उन्होंने गाँव के बच्चों को साइंस, गणित और साहित्य पढ़ाना शुरू किया। बाद में 1989 में उन्होंने अपने खेत पर स्कूल स्थापित किया। आज खड़िया के इस स्कूल में 1,000 से भी अधिक बच्चे बढ़ते हैं।
दुकानदार से शिक्षक बनें इस व्यक्ति ने ऐसे दी गरीब बच्चों को शिक्षा
दिल्ली में एक दुकानदार ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की होगी। दुकानदार राजेश कुमार शर्मा 300 से भी अधिक वंचित बच्चों को यमुना बैंक क्षेत्र में एक मेट्रो पुल के नीचे पढ़ाते हैं। 2006 में युमना बैंक मेट्रो स्टेशन के पास खुदाई होते समय कुछ बच्चों को रेत में खेलते हुए देखा और सोचा इनके लिए कुछ अच्छा किया जाए। इसके बाद उन्होंने पेड़ के नीचे दो बच्चों को पढ़ाकर इसकी शुरूआत की।
नौ साल की उम्र में बनें शिक्षक
ऐसे ही प्रेरणादायक शिक्षकों की कहानियों में बाबर अली का नाम आता है। ये नौ साल की उम्र पर ही शिक्षक बन गए थे। पश्चिम बंगाल के बाबर घर से स्कूल जाने के लिए 10 किमी की दूरी तय करते थे। रास्ते में वे अपनी उम्र के बच्चों को खेतों में काम करते हुए देखते थे। जिस कारण उन्होंने अपने घर में फ्री में बच्चों को पढ़ाने के लिए क्लास शुरू की और बाद में आनंद शिक्षा केंद्र स्थापित किया।
ये शिक्षक अधिकारी बनने में करते हैं बच्चों की मदद
मोहम्मद रहमान खुद तो अपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनने का सपना पूरा नहीं कर पाएं, लेकिन वे कई छात्रों को उनका सपना पूरा करने में मदद करते हैं। रहमान मछुआ टोली में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए 'अदम्य अदिति गुरुकुल' नामक संस्थान चलाते हैं। जिसमें रहमान बच्चों को अधिकारी बनाने के लिए शिक्षा देते हैं। साथ ही वे 27 गरीब बच्चों को अपने साथ रखते हैं और उनका पालन पोषण करते हैं।