बिहार: छात्र पढ़ने नहीं आए तो इस प्रोफेसर ने लौटाए वेतन के 23 लाख रूपये
बिहार के मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर सिंह कॉलेज के हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर ललन कुमार अपने अनूठे कदम के लिए काफी चर्चा में हैं। कुमार ने छात्रों की अनुपस्थिति से परेशान होकर अपने दो साल और नौ माह के कार्यकाल का पूरा वेतन, जो कि लगभग 23 लाख था, लौटा दिया है। उन्होंने कहा कि चूंकि पिछले दो साल से अधिक समय से कॉलेज में छात्रों को पढ़ाया नहीं है, इसलिए वो सैलरी लेने के हकदार नहीं हैं।
प्रोफेसर ने अंतरात्मा की आवाज पर लौटाया वेतन
प्रोफेसर ललन कुमार मंगलवार को जब वेतन वापसी का प्रार्थना पत्र लेकर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आरके ठाकुर के पास पहुंचे तो लोग हैरान रह गए। ललन ने इस मौके पर कहा, "मैं नीतीश्वर कॉलेज में अपने अध्यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए ज्ञान और अंतरात्मा की आवाज पर नियुक्ति तारीख से अब तक के पूरे वेतन की राशि विश्वविद्यालय को समर्पित करता हूं।"
प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय पर लगाए आरोप
प्रोफेसर कुमार का चयन बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के जरिए 24 सितंबर, 2019 को सहायक प्रोफेसर के पद पर हुआ था। उन्होंने बताया कि भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव राजकुमार मंडिर ने सभी चयनित प्रोफेसरों की नियुक्ति मनमाने तरीके से की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी रैंक अच्छी थी, इसके बावजूद उन्हें नीतीश्वर सिंह कॉलेज में भेज दिया गया, जबकि उनसे कम रैंक वालों का पोस्ट ग्रेजुएशन में पढ़ाने के लिए चयन किया गया।
बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजा पत्र, सुनाया दुखड़ा
प्रोफेसर कुमार ने इस प्रार्थना पत्र की कॉपी कुलसचिव के अलावा कुलाधिपति, मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, उच्च न्यायालय, पटना (जनहित याचिका के रूप में), केंद्रीय शिक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति को भी भेजी है। उन्होंने पत्र में लिखा कि वे पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन ग्रेजुएशन के हिंदी विभाग में 131 छात्र होने के बावजूद एक भी छात्र नहीं आता। उन्होंने कहा, "कक्षा में छात्रों के नहीं होने से यहां काम करना मेरे लिए अपनी अकादमिक मृत्यु के समान है।"
कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जारी किया बयान
मामले पर नीतिश्वर सिंह कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो डॉ मनोज कुमार ने कहा, "अगर प्रोफेसर ललन कुमार को कोई समस्या थी तो उन्हें पहले मुझे बताना चाहिए था। उन्होंने कई बार ट्रांसफर की बात की, लेकिन एक बार भी मुझसे बात नहीं की।" वहीं विश्वविद्यालय के के कुलसचिव ने कहा, "प्रोफेसर ललन अपने ट्रांसफर को लेकर परेशान हैं।उन्होंने अपना चेक लौटाया है, लेकिन इसको स्वीकार नहीं किया गया है।"
ललन कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय और JNU से की है पढ़ाई
प्रोफेसर ललन कुमार वैशाली जिले के शीतल भकुरहर गांव निवासी किसान श्रवण कुमार के पुत्र हैं। BPSC में उनकी 15वीं रैंक थी। इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से 2011 में ग्रेजुएशन किया था। उस समय उन्हें पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड से पुरस्कृत किया था। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से MPhil की।