इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं वसूल पाएंगे मनमानी फीस, अधिकतम और न्यूनतम शुल्क सीमा तय
अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले कॉलेज छात्रों से मनमाने ढंग से मोटी फीस नहीं वसूल पाएंगे। देशभर में मौजूद सरकारी और निजी कॉलेजों के लिए फीस का ढांचा तय कर दिया गया है और इस संबंध में जल्द ही अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। यह पहली बार है जब स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस का स्लैब निर्धारित किया जा रहा है।
अब तक निर्धारित नहीं थी ट्यूशन फीस की न्यूनतम सीमा
यह संशोधन सात साल बाद आया है। इससे पहले विशेषज्ञ समिति ने संस्थान 'ट्यूशन फीस' के रूप में कितना शुल्क ले सकते हैं, इसकी ऊपरी सीमा निर्धारित करने की सिफारिश की थी, लेकिन अब तक 'ट्यूशन फीस' की न्यूनतम सीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
फीस की सीमा को लेकर शिक्षा मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, AICTE की कार्यकारी समिति ने 10 मार्च को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय शुल्क समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी और इसे शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया, जो इसकी जांच कर रहा है। समिति ने शिक्षा मंत्रालय से सिफारिश की है कि स्नातक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के मामले में वार्षिक न्यूनतम फीस 79,000 रुपये से कम नहीं हो सकती, जबकि अधिकतम फीस 1.89 लाख रुपये तक रह सकती है।
संशोधित फीस स्ट्रक्चर लागू करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति भी आवश्यक
अप्रैल, 2015 में प्रस्तुत अपनी पिछली रिपोर्ट में समिति ने सुझाव दिया था कि चार वर्षीय स्नातक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए अधिकतम शुल्क 1.44 लाख से 1.58 लाख रुपये प्रति वर्ष तय किया जाए। वर्षों से 'न्यूनतम शुल्क सीमा' के अभाव में कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेज AICTE में 'ट्यूशन फी' की निचली सीमा निर्धारित करने के लिए आवेदन कर रहे थे। संशोधित फीस स्ट्रक्चर को लागू करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकारों की अनुमति की आवश्यकता होगी।
परिषद ट्यूशन और अन्य शुल्क वसूलने के लिए तय कर सकते हैं दिशानिर्देश
बता दें कि AICTE अधिनियम की धारा 10 में कहा गया है कि कोई भी परिषद ट्यूशन और अन्य शुल्क वसूलने के लिए मानदंड और दिशानिर्देश तय कर सकता है।
TMA PAI फाउंडेशन मामला क्या है?
TMA PAI फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तकनीकी शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए श्रीकृष्ण समिति का गठन किया गया था। तब कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि तकनीकी शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए निजी संस्थानों द्वारा ली जाने वाली फीस तब तक राज्य सरकारों द्वारा तय की जानी चाहिए, जब तक कि राष्ट्रीय स्तर की फीस निर्धारण समिति अपनी सिफारिशें नहीं देती है।
कॉलेज की सुविधाओं और शहर के आधार पर निर्धारित होगी फीस
तकनीकी कॉलेज सुविधाओं और शहर के आधार पर फीस निर्धारित कर सकेंगे। दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में कॉलेज पहले वर्ष की फीस में हर वर्ष पांच फीसदी तक की ही बढ़ोतरी कर सकेंगे। शैक्षणिक सत्र 2022-23 से यह फीस सरकारी और निजी कॉलेजों के इंजीनियरिंग, डिजाइन और एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट प्रोग्राम में लागू होगी। वहीं, आर्किटेक्चर में फीस, पाठ्यक्रम और परीक्षा जैसे फैसले काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर लेगी, वहीं फार्मेसी कॉलेजों में यह फैसले फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया लेगी।
किस कार्यक्रम के लिए कितनी फीस तय की गई?
स्नातक- इंजीनियरिंग - 79, 000-1.89 लाख रूपये स्नातकोत्तर - इंजीनियरिंग - 1.41 लाख - 3.03 लाख रूपये डिप्लोमा - इंजीनियरिंग- 67,000- 1.40 लाख रूपये स्नातक - डिजाइन- 94,000-2.25 लाख रूपये स्नातकोत्तर - डिजाइन- 1.55 लाख- 3.14 लाख रूपये स्नातक - एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट - 1.10 लाख- 2.53 लाख रूपये स्नातकोत्तर - एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट - 1.48 लाख- 2.25 लाख रूपये डिप्लोमा - एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट - 81,000- 1.64 लाख रूपये