
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉनवोकेशन में 62 साल के व्यक्ति को मिली डिग्री
क्या है खबर?
पढ़ने की और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। इस बात को दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के एक छात्र ने सही साबित कर दिखाया।
दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉनवोकेशन समारोह में कॉलेज के युवा छात्रों के बीच आत्मविश्वास से भरे 62 साल के वीरेंद्र सिंह ने डिग्री हासिल की।
उनके आत्मविश्वास को देखकर कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों ने उनकी सराहना की।
आइए जानें उनके बारे में कुछ बातें।
पढ़ाई
रिटायर होने के 36 साल बाद की PhD
वीरेंद्र सिंह ने कुछ नया सीखने के लिए सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) लेने के 36 साल बाद अपनी PhD की पढ़ाई पूरी की है।
उनका कहना है कि उन्हें DU के युवा छात्रों से बहुत कुछ सीखने को मिला है। वे अपने ज्ञान को भी उनके साथ शेयर करना चाहते हैं।
आपको बता दें कि उनकी बेटी भी दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सोशियोलॉजी में रिसर्च कर रही है।
बयान
बेटी के साथ एक ही कॉलेज में की पढ़ाई
वीरेंद्र ने बताया कि जब वे अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी बेटी भी DU में पढ़ रही थी। वे कैंटीन में मिलते थे। सोमवार को हुए कनवोकेशन कार्यक्रम में उनकी पत्नी भी उनके साथ आई थीं।
कार्य
सेना में काम करने के बाद किया ये
सेना में कार्यरत रहने के बाद सिंह ने दस साल में तीन कॉर्पोरेट फर्मों के साथ काम किया और 1988 में फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एग्जीक्यूटिव MBA की पढ़ाई की।
इसके बाद उन्होंने NIT से बिजनेस पाटनर्शिप की और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग में प्रवेश किया।
उनका कहना है कि अपने व्यस्त कॉर्पोरेट जीवन के कारण वे पढ़ाई के लिए समय नहीं दे सके, लेकिन 2012 में उन्होंने PhD करने का फैसला किया। उनका विषय आर्गेनाइजेशनल प्राइड एंड परफॉर्मेंस था।
नरोत्तम सिंह
वीरेंद्र के अलावा इन्होंने भी की नौकरी के बाद पढ़ाई
वीरेंद्र के अलावा 48 वर्षीय नरोत्तम सिंह ने भी तीन साल पहले साइंटिस्ट की सरकारी नौकरी करने के बाद DU से बौद्ध अध्ययन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने का फैसला किया।
उन्होंने 2016 में मास्टर्स के लिए दाखिला लिया था और 2018 में पास आउट हो गए। वर्तमान में वह मैसूर में पढ़ाई कर रहे हैं।
पूर्व वैज्ञानिक ने अपनी स्नातक की पढ़ाई रामजस कॉलेज से की और फिर जामिया मिलिया इस्लामिया से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
बयान
स्नातक में भी किया था टॉप
वीरेंद्र सिंह के अनुसार वे हमेशा से पढ़ने में अच्छे रहे हैं। उन्होंने स्नातक में भी विश्वविद्यालय में टॉप किया था। इसके साथ ही उनका कहना है कि उन्होंने हाल ही में हरियाणा के रोहतक में अपने गांव में जैविक खेती की है।
उद्देश्य
धर्म और आध्यात्मिकता के लिए खोजना चाहते हैं वैज्ञानिक आधार
DU के 96वें दीक्षांत समारोह में सिंह के साथ उनके पिता भी थे। वहां उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया है। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य डिग्री प्राप्त करना नहीं था बल्कि ज्ञान प्राप्त करना था।
सिंह मैसूर में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद ही PhD करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) में पोस्टग्रेजुएशन इसलिए करना चाहते हैं, क्योंकि वे धर्म और आध्यात्मिकता के लिए एक वैज्ञानिक आधार खोजना चाहते हैं।