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    होम / खबरें / बिज़नेस की खबरें / भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान, 2025 में 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना
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    भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान, 2025 में 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना
    भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान

    भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान, 2025 में 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Jan 07, 2025
    05:13 pm

    क्या है खबर?

    वित्त वर्ष-2025 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले 4 वर्षों में सबसे कम होगी। यह वित्त वर्ष-2024 में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि से कम है, जो धीमी आर्थिक गति को दर्शाता है।

    सरकार के अनुमानों के अनुसार, इस साल GDP का आकार 184.88 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 173.82 लाख करोड़ रुपये था।

    यह वृद्धि दर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है।

    उम्मीद

    संचालन क्षेत्रों में वृद्धि की उम्मीद

    वित्त वर्ष-2025 में कृषि और संबंधित क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जो पिछले साल 1.4 प्रतिशत से काफी अधिक है।

    निर्माण क्षेत्र में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। वहीं, वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं के क्षेत्र में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।

    हालांकि, GDP वृद्धि में गिरावट के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव देखे जा सकते हैं, जिससे संतुलन बन सकेगा।

    उपभोग व्यय में वृद्धि 

    उपभोग व्यय में वृद्धि 

    पारिवारिक खर्च को मापने वाला प्रमुख संकेतक, निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE), वित्त वर्ष-2025 में 7.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 4.0 प्रतिशत सीमित रहा था।

    इस साल सरकारी खर्च (GFCE) में भी वृद्धि की संभावना है, जो पिछले साल 2.5 प्रतिशत से बढ़कर 4.1 प्रतिशत हो सकता है।

    हालांकि, उच्च-आवृत्ति वाले आंकड़े उत्साहजनक नहीं हैं, जिससे पूरे अर्थव्यवस्था पर वर्तमान में दबाव बना हुआ है।

    प्रभाव

    राजकोषीय घाटे पर प्रभाव

    नाममात्र GDP वृद्धि 9.7 प्रतिशत रहने से राजकोषीय घाटे पर दबाव पड़ेगा। अगर सरकार का घाटा अपनी निर्धारित सीमा पर रहता है, तो यह GDP के 5 प्रतिशत तक जा सकता है।

    हालांकि, पूंजीगत खर्च में कटौती के कारण विशेषज्ञों का मानना है कि इसे 4.9 प्रतिशत पर सीमित किया जा सकता है। तीसरी तिमाही में विकास दर में गिरावट का अनुमान है, जिससे अर्थव्यवस्था में और कमजोरी आ सकती है।

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