कैसे बनते हैं एयरबैग और कैसे काम करते हैं?
वाहनों में एयरबैग सबसे कॉमन, लेकिन महत्वपूर्ण सेफ्टी फीचर्स में से एक है। टक्कर के समय ये हवा से भर जाते हैं और एक कुशन के रूप में यात्रियों की टकराव से सुरक्षा करते हैं। एयरबैग की मदद से यात्रियों को काफी सुरक्षा मिलती है और इस तकनीक ने कितने ही लोगों की जान बचाई है। मौजूदा समय में सेफ्टी के लिए सीट बेल्ट के साथ साथ एयरबैग भी जरूरी हो गए हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।
किन पार्ट्स की मदद से बनते हैं एयरबैग?
एयरबैग सिस्टम में पांच पार्ट्स होते हैं, जैसे क्रैश सेंसर, इंडिकेटर लैंप, एयरबैग मॉड्यूल, स्टीयरिंग व्हील कनेक्टिंग कॉइल और डायग्नोस्टिक मॉनिटरिंग यूनिट। एयरबैग मॉड्यूल में आगे तीन भाग होते हैं, इनमें नायलॉन से बना एयरबैग, इन्फ्लेटर बॉडी और एक प्रोपेलेंट (ज्यादातर ऑक्सीडाइज़र के साथ संयुक्त सोडियम एज़ाइड)। बता दें वाहनों के असेंबली के समय, एयरबैग मॉड्यूल अन्य पार्ट्स के साथ वाहन में लगा दिया जाता है, चालक के लिए एक एयरबैग कार के स्टीयरिंग व्हील में लगा होता है।
एयरबैग के प्रकार
वर्त्तमान में कुल चार प्रकार के एयरबैग वाहनों में उपलब्ध हैं। पहला फ्रंटल एयरबैग जो आमने-सामने की टक्कर के दौरान आगे की सीट पर बैठने वालों के सिर और छाती की रक्षा करते हैं। दूसरा बॉडी एयरबैग जो टक्कर के दौरान बॉडी को सुरक्षा प्रदान करते हैं। तीसरा कर्टेन एयरबैग जो यात्रियों को साइड क्रैश से बचाते हैं। चौथा एम्बेडेड एयरबैग जो पीछे बैठे यात्रियों के छाती की चोटों की संभावना को कम करते हैं।
कैसे काम करते हैं एयरबैग?
एयरबैग्स को केबिन के विभिन्न हिस्सों में लगाया जाता है और टक्कर की स्थिति में ये सक्रिय हो जाते हैं (जब कार की गति में भारी गिरावट आती है और यात्रियों को उच्च स्तर के G-फोर्स का अनुभव होता है)। एयरबैग कंट्रोल मॉड्यूल (ACM) सेंसर के माध्यम से इन फोर्स की निगरानी की जाती है। ACM इसी आधार पर यह तय करता है कि यात्रियों की सुरक्षा करने के लिए कौन सा एयरबैग सक्रिय किया जाए।
50 मिलीसेकंड में सक्रिय हो जाते हैं एयरबैग
टक्कर के समय ACM इनफ्लोटर कनस्तर को एक इलेक्ट्रिक स्पार्क भेजता है और इससे नाइट्रोजन गैस पैदा करने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया होती है। नाइट्रोजन गैस फैलती है और एयरबैग में हवा भरने लगती है। यही नाइट्रोजन गैस से भरे एयरबैग यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया को पूरा होने में केवल 50 मिलीसेकंड का समय लगता है। अगर वाहन 14.5 किमी/घंटा की रफ्तार पर किसी ठोस वस्तु से टकराता है तो एयरबैग ट्रिगर हो सकता है।