कार की फ्रंट सीट पर एयरबैग लगाने की समयसीमा बढ़ी, अब इस दिन से होगा अनिवार्य
परिवहन मंत्रालय ने कोरोना के कारण कार की फ्रंट पैसेंजर सीट में सुरक्षा के लिए एयरबैग लगाने की समयसीमा में ढील देते हुए इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब इसे समय को चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे कार बनाने वाली कंपनियों को 31 दिसंबर तक यह काम पूरा करना होगा। हालांकि, नई कारों के लिए ये नियम पहले जैसे रहेंगे। नई कारों के लिए 1 अप्रैल से यह नियम लागू हुआ है।
क्या थे पहले के नियम?
पुराने नियमों के तहत यह अनिवार्य किया गया था कि चालक के अलावा आगे की सीट पर बैठने वाले व्यक्ति के लिए एयरबैग जरूर होना चाहिए। इसके तहत नए मॉडलों के लिए 1 अप्रैल, 2021 और पहले बनाए गए वाहनों तथा मौजूदा मॉडलों के लिए 31 अगस्त, 2021 तक सभी गाड़ियों में एयरबैग को अनिवार्य किया गया था। गौरतलब है कि इससे पहले 1 जुलाई, 2019 से सभी कारों में ड्राइवर सीट के लिए एयरबैग अनिवार्य किया गया था।
कैसे काम करता है एयरबैग?
एयरबैग एक सुरक्षा प्रणाली के तहत काम करता है। दुर्घटना के समय जब कोई कार किसी भी चीज से टकराती है तब टकराने की स्पीड के अनुसार ही कार का एयरबैग खुलता है। कार के किसी चीज से टकराने पर एक्सिलेरोमीटर सर्किट एक्टिवेट हो जाता है और एक इलेक्ट्रिकल करंट भेजता है। इससे आगे लगा हुआ सेंसर एयरबैग को सिग्नल देता है और लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से एयरबैग फूलकर यात्रियों के सामने आ जाता है।
सड़क दुर्घटना को कम करने का है लक्ष्य
सड़क परिवहन से जुड़े सारे नियम सरकार भारत में आए दिन हो रही सड़क दुर्घटना को कम करने के लिए जारी कर रही है। सरकार ने 2024 से पहले सड़क दुर्घटनाओं को 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा है। जानकारी के लिए बता दें, सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं और वर्तमान में भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर दिन 400 से अधिक लोगों की मौत होती हैं।
गडकरी ने पेश किया चार 'E' फॉर्मूला
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विश्वास दिलाया है कि अगले तीन सालों में भारत में सड़क दुर्घटनाओं के मामले लगभग 50 प्रतिशत कम हो जाएंगे। गडकरी ने सड़क सुरक्षा के चार 'E' यानी इंजीनियरिंग (सड़क और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग सहित), इकोनॉमी (Economy), इंफोर्समेंट (Enforcement) और एजुकेशन (Education) फार्मूले को सामने रखा है, जिसे मजबूत कर सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए जागरूकता फैलाने की भी जरूरत बताई है।