
#NewsBytesExplainer: पश्चिम एशिया से कर्मचारियों को वापस क्यों बुला रहा अमेरिका, ईरान पर हमला करेगा इजरायल?
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उभरते खतरों और बढ़ते तनाव के जोखिम का हवाला देते हुए पश्चिम एशिया में तैनात अमेरिकी सैनिकों और कर्मचारियों की आंशिक वापसी के आदेश दिए हैं।
ट्रंप ने ये कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब ईरान के साथ परमाणु वार्ता में गतिरोध और सैन्य टकराव की आशंका बनी हुई है।
ट्रंप ने कहा कि यह खतरनाक जगह हो सकती है।
आइए जानते हैं फैसले के पीछे की वजह क्या है।
आदेश
ट्रंप ने क्या आदेश दिया है?
ट्रंप ने 11 जून को कहा कि कुछ कर्मियों को इस क्षेत्र से स्थानांतरित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "ये कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि यह एक खतरनाक जगह हो सकती है और हम देखेंगे कि क्या होता है।"
इस दौरान ट्रंप ने ईरान को भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते। बहुत सरल शब्दों में कहें तो उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।"
जगह
कहां-कहां से सैनिकों-कर्मचारियों को वापस बुला रहा है अमेरिका?
अमेरिका के विदेश विभाग ने बहरीन और कुवैत से सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वैच्छिक रूप से इलाका छोड़ने की अनुमति दी है।
बगदाद में अमेरिकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली कराया जा रहा है।
कुछ और जगहों पर भी लोगों को निकालने का काम चल रहा है। हालांकि, कुवैत में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि उसने अपने स्टाफ में कोई बदलाव नहीं किया है और ये पूरी तरह से चालू है।
उपस्थिति
पश्चिम एशिया में कहां-कहां है अमेरिका की सैन्य उपस्थिति?
पूरे पश्चिम एशिया में अमेरिका की बड़े पैमाने पर सैन्य उपस्थिति है। इनमें इराक, सीरिया, जॉर्डन, इजरायल, मिस्र, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) शामिल हैं।
कतर में CENTCOM का फॉरवर्ड बेस है। वहीं, बहरीन में अमेरिकी नौसेना के 5वां बेड़े का बेस है।
कतर स्थित अल उदीद एयर बेस कर्मियों और क्षमता के मामले में पश्चिम एशिया में सबसे बड़ा अमेरिकी बेस है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र में लगभग 40,000 अमेरिकी सैन्यकर्मी तैनात हैं।
संख्या
कहां-कितने अमेरिकी सैनिक तैनात हैं?
फिलहाल इराक में लगभग 2,500 और सीरिया में लगभग 2,000 अमेरिकी सैनिक हैं।
जॉर्डन में अमेरिकी सेना आतंकवाद विरोधी अभियानों के अलावा नियमित रूप से अभ्यास करती हैं और जॉर्डन की सेना को प्रशिक्षण देती हैं।
UAE, कुवैत और सऊदी अरब में अमेरिकी सेना क्षेत्रीय सैन्य समन्वय और रणनीतिक तैयारियों में सहायता करती है।
अमेरिका ब्रिटेन के साथ भी कुछ सैन्य अड्डे साझा करता है। नौसेना के हैरी एस ट्रूमैन और कार्ल विंसन जैसे युद्धपोत भी यहां तैनात हैं।
वजह
कर्मियों को क्यों वापस बुला रहा अमेरिका?
अमेरिका ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब चर्चाएं हैं कि इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की योजना बना रहा है।
अमेरिका को आशंका है कि इसके बाद ईरान अपने पड़ोसी देशों में अमेरिकी दूतावासों या सैन्य अड्डों को निशाना बना सकता है। यही वजह है कि अमेरिका अपने कर्मियों की मौजूदगी कम कर रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम अमेरिकियों को देश और विदेश में सुरक्षित रखने की प्रतिबद्धता पर आधारित है।
वार्ता
क्या खटाई में पड़ गई है अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता?
कहा जा रहा है कि अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई है। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि दोनों देशों में शायद कोई समझौता नहीं हो पाए।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि ये ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति है, क्योंकि इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि अगर वे किसी तरह का समझौता नहीं कर पाए, तो ईरानियों के खिलाफ किसी तरह की सैन्य कार्रवाई हो सकती है।