
तालिबान के मंत्री को भारत आने के लिए क्यों है UNSC की मंजूरी की जरूरत?
क्या है खबर?
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की इस महीने भारत की प्रस्तावित यात्रा तकनीकी कारणों से अटक गई है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने मुत्ताकी और अन्य वरिष्ठ तालिबान नेताओं की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में मुत्ताकी की यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि तालिबानी मंत्री को भारत की यात्रा के लिए UNSC की मंजूरी की आवश्यकता क्यों है।
ऐतिहासिक
ऐतिहासिक मानी जा रही थी मुत्ताकी की भारत यात्रा
मुत्ताकी की यह भारत यात्रा काफी ऐतिहासिक मानी जा रही थी क्योंकि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद से यह किसी तालिबानी नेता की पहली यात्रा होती। मामले से जानकार अधिकारियों के अनुसार, इस यात्रा पर कई हफ्तों से चर्चा चल रही थी। अगस्त के अंत में यात्रा की तारीखों को अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन प्रक्रियागत बाधाओं के कारण तारीख तय नहीं हो पाई। अब UNSC ने अनुमति नहीं दी।
सवाल
तालिबानी मंत्री को यात्रा के लिए क्यों है UNSC की अनुमति की जरूरत?
दरअसल, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा कर सत्ता हथियाने के बाद से मुत्ताकी पर UNSC ने यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में उन्हें अफगानिस्तान छोड़ने के लिए UNSC से औपचारिक मंजूरी की आवश्यकता थी। इसके बिना वह कानूनी तौर पर भारत या किसी अन्य देश की यात्रा नहीं कर सकते थे। जब यह छूट नहीं मिली, तो उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। हालांकि, वह अभी भी अनुमति हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
रोक
UNSC की प्रतिबंध समिति लगाती है यात्रा पर रोक
मुत्ताकी को यात्रा की अनुमति की जरूरत UNSC द्वारा प्रबंधित एक सख्त प्रतिबंध के कारण है। 1988 में बनी प्रतिबंध समिति को तालिबान के नेताओं और संस्थाओं से संबंधित उपायों की निगरानी का काम सौंपा गया है। इसमें यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्त करना और हथियार प्रतिबंध शामिल हैं, जिनका उद्देश्य प्रतिबंधित व्यक्तियों को संसाधन या गतिशीलता प्राप्त करने से रोकना है, जिससे अफगानिस्तान या व्यापक क्षेत्र अस्थिर हो सकता है।
कारण
UNSC ने क्यों नहीं दी मुत्ताकी को यात्रा की अनुमति?
UNSC की प्रतिबंध समिति सर्वसम्मति से काम करती है। इसका अर्थ है कि इसके 15 सदस्य देशों में से कोई भी देश आपत्ति उठाकर किसी अनुरोध पर रोक लगा सकता है। इससे प्रत्येक सदस्य को यात्रा छूट जैसे निर्णयों पर एक प्रकार का वीटो अधिकार प्राप्त हो जाता है। वर्तमान में पाकिस्तान इस समिति की अध्यक्षता करता है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने मुत्ताकी की भारत यात्रा के अनुरोध का विरोध किया, जिससे उन्हें अनुमति नहीं मिल पाई।
जानकारी
पहले भी अटकी थी मुत्ताकी की यात्रा
यह पहली बार नहीं है जब मुत्ताकी को ऐसी बाधा का सामना करना पड़ा है। इस साल की शुरुआत में उनकी पाकिस्तान की प्रस्तावित यात्रा भी ऐसे ही रद्द हो गई थी, क्योंकि अमेरिका ने कथित तौर पर अनुमति पर आपत्ति जताई थी।
व्यवस्था
UNSC प्रतिबंध व्यवस्था कैसे काम करती है?
वर्तमान प्रतिबंध व्यवस्था पिछले दो दशकों में पारित कई संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का परिणाम है। मूल रूपरेखा 1999 में प्रस्ताव 1,267 के तहत स्थापित की गई थी, जिसका मुख्य लक्ष्य अल कायदा, तालिबान और संबंधित समूह थे। वर्तमान में 1988 प्रतिबंध समिति विशेष रूप से तालिबान से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि प्रस्ताव 1,267 के तहत एक अन्य समिति अल कायदा, ISIS और संबंधित संगठनों से निपटती है।
संबंध
भारत ने तालिबान से कैसे बनाया संपर्क?
भारत के अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंध रहे हैं। अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद भारत ने अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति फिर से स्थापित करने का प्रयास किया। जून 2022 में मानवीय सहायता पहुंचाने और विकास पहलों की देखरेख के लिए दूतावास को कम कर्मचारियों के साथ फिर से खोल दिया गया। इससे माना गया कि भारत तालिबान शासन के तहत भी अफगानिस्तान के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
जानकारी
भारत में मौजूद हैं 16,000 से अधिक अफगानी शरणार्थी
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 16,000 अफगानी शरणार्थी हैं, जिनके पास दस्तावेज हैं और अनुमानतः 18,000 से ज्यादा लोग बिना किसी आधिकारिक दस्तावेज के रह रहे हैं। भारत ने अफगानियों के लिए विशेष वीजा श्रेणी भी बनाई है।
करीबी
भारत-तालिबान कैसे आ रहे हैं करीब?
हाल के महीनों में तालिबान के साथ भारत की भागीदारी लगातार बढ़ी है, जिसमें वार्ता जारी रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जनवरी में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी के साथ अहम बैठक की। दोनों पक्षों ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अफगानी व्यवसायों द्वारा ईरान के चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने की संभावना पर भी चर्चा की, जिससे पाकिस्तान के माध्यम से पारंपरिक मार्गों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सके।
अन्य
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कर चुके हैं मुत्ताकी से बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मई में मुत्तकी से फोन पर बात की थी, जो 2021 के बाद से दोनों सरकारों के बीच सबसे उच्च स्तर का संपर्क था। दोनों नेताओं ने 1 सितंबर को दोबारा बातचीत की, जिसके कुछ ही समय बाद भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में सहायता भेजी थी। भले ही मुत्ताकी की भारत यात्रा स्थगित कर दी गई है, लेकिन इसे स्थायी रूप से रद्द नहीं किया गया है।