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पश्चिम एशिया में कहां-कहां हैं अमेरिकी सैन्य ठिकाने और ईरान के हमला किया तो क्या होगा?
पश्चिम एशिया में स्थित अमरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है ईरान

पश्चिम एशिया में कहां-कहां हैं अमेरिकी सैन्य ठिकाने और ईरान के हमला किया तो क्या होगा?

Jun 23, 2025
06:42 pm

क्या है खबर?

अमेरिका द्वारा ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमला किए जाने के बाद हालात तनावर्पूण हो गए हैं। हमले के बाद जहां अमेरिका ने ईरान से शांति का रास्ता अपनाने काे कहा है, वहीं ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखते हुए जवाबी हमला करने की कसम खाई है। इसके तहत उनके पश्चिम एशिया में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करने की भी संभावना है। आइए जानते हैं ये ठिकाने कहां-कहां है और हमला करने से क्या होगा।

पृष्ठभूमि

अमेरिका ने फोर्दो सहित 3 ठिकानों पर किया था हमला

अमेरिका ने 22 जून को ईरान में फोर्दो समेत 3 परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इनमें नतांज और इस्फहान भी शामिल है। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमलों से तीनों परमाणु सुविधाएं पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। अब ईरान को शांति कायम करनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो उस पर और बड़े हमले किए जाएंगे। हालांकि, ईरान ने इस हमले में परमाणु सुविधाओं को मामूली नुकसान की बात कही है।

धमकी

ईरान ने क्या दी है धमकी?

ईरान के उप विदेश मंत्री माजिद तख्त रवांची ने कहा, "अमेरिका और इजरायल के हमलों के बावजूद ईरान अपनी यूरेनियम संवर्धन गतिविधियां जारी रखेगा। कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या करना चाहिए या क्या नहीं।" उन्हाेंने कहा, "अमेरिका ने ईरान की संप्रभुता का खुलेआम उल्लंघन करके सीधे ईरान के साथ युद्ध में प्रवेश किया है। हम विश्वास दिलाते हैं कि इस्लाम के योद्धा शक्तिशाली और लक्षित अभियानों के साथ आपके लिए खेदजनक और अप्रत्याशित परिणाम लाएंगे।"

चेतावनी

ईरान ने UNSC में भी दी अमेरिका को चेतावनी

ईरान के संयुक्त राष्ट्र (UN) राजदूत आमिर सईद इरावानी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपातकालीन बैठक में कहा कि "अमेरिका ने हमारी परमाणु सुविधाओं पर हमला कर एक बहुत बड़ी लाल रेखा को पार कर दिया है। अब ईरान की सेना अमेरिका को जवाब देने का समय, प्रकृति और पैमाना तय करेगी।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब पश्चिम एशिया में मौजूद प्रत्येक अमेरिकी नागरिक या सैन्यकर्मी को लक्ष्य माना जा रहा है।

ठिकाने

पश्चिम एशिया में कहां-कहां हैं अमेरिकी सैन्य ठिकाने?

अमेरिका का पश्चिम एशिया में दशकों से बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। उसके 40,000 से 50,000 सैनिक इस क्षेत्र में बने उसके 9 ठिकानों पर तैनात हैं। इन ठिकानों में कतर, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), इराक, सीरिया, सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और जॉर्डन शामिल हैं। कतर US सेंट्रल कमांड (CENTCOM) और अल उदीद एयर बेस का घर है, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य ठिकाना है। 379वीं एयर एक्सपेडिशनरी विंग इसी ठिकाने से संचालित होती है।

अन्य

इन जगहों पर भी संचालित हैं अमेरिकी सैन्य ठिकाने 

कुवैत के आरिफजान में भी अमेरिका का एक प्रमुख सैन्य अड्डा है और अली अल सलेम एयर बेस है, जहां से 386वीं एयर एक्सपेडिशनरी विंग काम करती है। इस विंग में एयरलिफ्ट, एरियल रिफ्यूलिंग इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टोही के साथ एयरोमेडिकल निकसी परिसमपत्तियां शामिल हैं। इसी तरह, इराक में भी अमेरिका के कई सैन्य अड्डे संचालित हैं। इनमें अल-हरीर और अल असद हवाई अड्डे के साथ-साथ कई शिविर और चौकियां भी शामिल हैं।

विंग

अमेरिका की 380वीं एयर एक्सपेडिशनरी विंग का घर है UAE

UAE में अमेरिका अल-धफरा एयरबेस संचालित करता है। यह अमेरिका की 380वीं एयर एक्सपेडिशनरी विंग का घर है। वायु और मिसाइल रक्षा प्रशिक्षण के लिए गल्फ एयर वारफेयर सेंटर भी इसी एयरबेस पर हैं। सऊदी अरब में प्रिंस सुल्तान एयर बेस है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी वायुसेना करती है। अमेरिकी सैन्यकर्मियों को रियाद के पास एस्कान गांव में भी रखा गया है। अमेरिका का 5वां बेड़ा अमेरिकी नौसेना बल केंद्रीय कमान बहरीन से काम करता है।

जॉर्डन

जॉर्डन में मुवफ्फाक साल्टी एयर बेस संचालित करता है अमेरिका

जॉर्डन में अमेरिका का मुवफ्फाक साल्टी एयर बेस है, जिसका संचालन वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर करता है। मिस्र में भी उसके कई सैन्य ठिकाने हैं। इस तरह अमेरिका की पश्चिम एशिया के लगभग 2 दर्जन देशों में भी सुविधाएं हैं। ऐसे कई स्थान हैं जो ईरान के नजदीक हैं और वह उन्हें अपना निशाना बना सकता है। बड़ी बात यह है कि ईरान पूर्व में भी कई बार इस तरह के कदम उठा चुका है।

परिणाम

ईरान के अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने के क्या होंगे परिणाम?

लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सहयोगी एचए हेलियर ने NCB न्यूज से कहा, "ईरान बुरी स्थित में फंस गया है। अगर वह अमेरिकी ठिकानों पर हमला करता है तो अमेरिका आक्रामक और निरंतर अभियान से जवाब देगा। इससे ईरानी शासन समेत पूरे देश को नुकसान हो सकता है।" उन्होंने कहा, "ईरान के जवाबी कार्रवाई न करने से उसके शासन की एकजुटता, जनता में असंतोष और प्रतिरोध के अपने वादों से मुकरना भी उसके लिए मुश्किल खड़ी करेगा।"

बयान

अपनी प्रतिक्रिया पर सोचने पर मजबूर होगा ईरान- पैनिकॉफ

अटलांटिक काउंसिल थिंक-टैंक में काम करने वाले जोनाथन पैनिकॉफ ने कहा, "अमेरिका के खिलाफ भरे गुस्से के बाद भी ईरान अंत में अपनी प्रतिक्रिया के बारे में गणनात्मक और संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करेगा।" इसी तरह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर फवाज गेर्गेस ने कहा कि ईरान संभवतः अमेरिका के साथ पूर्ण युद्ध में न घसीटे जाने का प्रयास करेगा क्योंकि इससे पूरे देश को बड़ा नुकसान होगा।