
#NewsBytesExplainer: होर्मुज जलडमरूमध्य बंद कर सकता है ईरान, ये कितनी अहम और क्या होगा असर?
क्या है खबर?
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के दुनिया पर असर को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं। अब ईरान ने एक नई आशंका को जन्म दे दिया है। ईरान ने संकेत दिया है कि वो होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने पर विचार कर रहा है।
अगर ऐसा हुआ तो कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं और युद्ध का दायरा भी बढ़ सकता है।
आइए इस कदम का संभावित असर जानते हैं।
होर्मुज जलडमरूमध्य
सबसे पहले जानिए क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य
होर्मुज फारस की खाड़ी में प्रवेश करने का एकमात्र समुद्री मार्ग है। इसके एक तरफ ईरान तो दूसरी तरफ ओमान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) हैं।
यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर में अरब सागर से जोड़ता है।
39 किलोमीटर लंबा यह जलडमरूमध्य अपने सबसे संकरे बिंदु पर यह 33 किलोमीटर और अधिकतम 95 किलोमीटर तक चौड़ा है। हालांकि, इसमें से केवल 3 किलोमीटर दायरे में से ही जहाज गुजर सकते हैं।
अहम
क्यों अहम है होर्मुज जलडमरूमध्य?
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, वैश्विक तेल खपत का लगभग 20 प्रतिशत इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। इसे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल पारगमन चोकपॉइंट बताया जाता है।
इस जलडमरूमध्य से रोजाना 2.1 करोड़ बैरल कच्चा तेल और 8 करोड़ टन नेचुरल गैस की आवाजाही होती है।
फिलहाल वैश्विक तेल उत्पादन का छठा हिस्सा और दुनियाभर की एक-तिहाई तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की आवाजाही यहां से होती है।
जानकारी
ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य के बारे में क्या कहा है?
ईरान की समाचार एजेंसी IRINN ने बताया है कि ईरान रणनीतिक होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के बारे में गंभीरता से समीक्षा कर रहा है। एजेंसी ने ईरानी जनरल और संसद के सुरक्षा आयोग के सदस्य इस्माइल कोसरी के हवाले से ये दावा किया है।
असर
होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का क्या होगा असर?
अगर जलडमरूमध्य को बंद किया गया तो सऊदी अरब, कतर, UAE, इराक, बहरीन और कुवैत जैसे देशों से तेल और गैस की आपूर्ति बड़े स्तर पर प्रभावित होगी।
इससे वैश्विक बाजार में बैरल की कीमतें बढ़ेंगी और खाड़ी देशों से कच्चा तेल आयात न करने वाले देश भी प्रभावित होंगे।
सबसे बड़ी आशंका है कि अगर जलडमरूमध्य बंद किया गया तो अमेरिका को नुकसान होगा और वो भी युद्ध में कूद सकता है।
भारत
भारत पर क्या होगा असर?
भारत के दो-तिहाई से अधिक तेल आयात और लगभग आधा LPG आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का करीब 80 प्रतिशत दूसरे देशों से आयात करता है। ऐसे में आपूर्ति बाधित होने से आर्थिक अस्थिरता और महंगाई का खतरा बढ़ेगा।
आशंकाएं हैं कि तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं। इससे आयात खर्च बढ़ेगा और रोजाना के इस्तेमाल की चीजें तक महंगी हो सकती हैं।
विशेषज्ञ
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
वेल्थ मैनेजमेंट फर्म जूलियस बेयर के अर्थशास्त्री नॉबर्ट रकर ने कहा, "ईरान पर इजरायल के हमले से क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में तेल को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और कीमतें बढ़ सकती हैं। स्थिति अब भी अस्थिर हैं। आने वाले दिनों में पता चलेगा की तनाव कितना बढ़ा है।"
जेपी मॉर्गन ने चेतावनी दी है कि संघर्ष बढ़ा तो तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।
पुराने मामले
क्या पहले कभी होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ है?
ईरान-इराक युद्ध के दौरान दोनों देशों ने इस जलडमरूमध्य में एक-दूसरे के वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाया था। इसे टैंकर युद्ध भी कहा जाता है।
2019 में UAE के फुजैराह तट पर जलडमरूमध्य के पास 4 जहाजों को निशाना बनाया गया था, जिसका आरोप अमेरिका ने ईरान पर लगाया था।
2010 में एक जापानी तेल टैंकर पर अल-कायदा से जुड़े एक समूह ने हमला किया था।
हालांकि, कभी भी ये जलडमरूमध्य पूरी तरह बंद नहीं हुआ है।