
#NewsBytesExplainer: परमाणु अप्रसार संधि से क्यों बाहर निकलना चाहता है ईरान, ऐसा हुआ तो क्या होगा?
क्या है खबर?
इजरायल और ईरान के बीच बीते 9 दिनों से भीषण युद्ध जारी है। इजरायल का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, जबकि ईरान इससे इनकार कर रहा है। अब खबर है कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलने की तैयारी कर रहा है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए संसद में विधेयक लाने पर विचार किया जा रहा है। आइए इस संधि के बारे में जानते हैं।
संधि
सबसे पहले जानिए क्या है परमाणु अप्रसार संधि?
NPT पर 1968 में हस्ताक्षर किए गए थे और ये 1970 में लागू हुई थी। इस अंतरराष्ट्रीय संधि का उद्देश्य परमाणु हथियारों और प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के साथ-साथ निरस्त्रीकरण में सहयोग को बढ़ावा देना है। दरअसल, अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराए थे। इसके बाद देशों में परमाणु हथियार विकसित करने की होड़ लग गई। यहीं से इस संधि की नींव पड़ी थी।
देश
संधि में कौन-कौनसे देश शामिल हैं?
फिलहाल 191 देश इसके सदस्य हैं। इनमें 5 परमाणु संपन्न देश- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने परमाणु संपन्न होने के बावजूद इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उत्तर कोरिया 2003 में इस संधि से पीछे हट गया था। वहीं, माना जाता है कि इजरायल के पास भी परमाणु हथियार है और वो भी संधि का हिस्सा नहीं है।
तरीका
ईरान कैसे संधि से बाहर निकल सकता है?
संधि के अनुच्छेद 10 में कहा गया है कि किसी पक्ष को अपनी संप्रभुता का प्रयोग करते हुए संधि से हटने का अधिकार है। अगर उसे लगता है कि संधि के विषय से संबंधित असाधारण घटनाओं ने उसके देश के सर्वोच्च हितों को खतरे में डाला है, तो वो संधि छोड़ सकता है। संधि छोड़ने की सूचना अन्य पक्षों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को 3 महीने पहले देनी होती है।
बयान
संधि छोड़ने के बारे में ईरान ने क्या कहा है?
12 जून को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान को संधि का दायित्वों का पालन नहीं करने का दोषी ठहराया था। जवाब में ईरान ने कहा था कि वह NPT से हटने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "यह कदम हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है। इजरायल और पश्चिमी देशों द्वारा हमारे खिलाफ लगातार हमले और प्रतिबंध हमें मजबूर कर रहे हैं।"
असर
ईरान ने NPT छोड़ी तो क्या होगा?
अगर ईरान संधि से बाहर होता है, तो ये IAEA के दायरे से बाहर हो जाएगा। यानी IAEA के अधिकारी ईरान की परमाणु सुविधाओं का निरीक्षण नहीं कर पाएंगे। इससे पता नहीं चलेगा कि ईरान किस हद तक अपनी परमाणु सुविधाओं का विकास कर रहा है। IAEA डेटा के अनुसार, पिछले साल ईरान में IAEA अधिकारियों ने रोजाना 1.4 परमाणु स्थलों का दौरा किया। इससे दूसरे देश भी संधि छोड़ने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
भारत
संधि को लेकर भारत का क्या रुख है?
भारत NPT का हिस्सा नहीं है। भारत इस संधि को भेदभावपूर्ण मानता है। उसका मानना है कि ये संधि गलत तरीके से देशों को परमाणु संपन्न और गैर-संपन्न देशों में वर्गीकृत करती है। भारत का कहना है कि संधि कुछ देशों के परमाणु हथियारों को वैध, जबकि अन्य पर प्रतिबंध लगाती है और परमाणु संपन्न देशों को विशेषाधिकार देती है। भारत का कहना है कि वह जिम्मेदार परमाणु नीति अपनाता है, जिसमें 'पहले हमला न करने' की नीति शामिल है।