
इजरायल ने अराक हेवी वाटर परमाणु संयंत्र पर क्यों किया हमला, यहां ईरान क्या-क्या बनाता है?
क्या है खबर?
ईरान पर हमले के 7वें दिन आज इजरायल ने अराक में स्थित हेवी वाटर परमाणु संयंत्र पर हमला किया है। इससे एक दिन पहले ही इजरायल ने ईरानी नागरिकों से इस इलाके को खाली करने को कहा था।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने की दिशा में इसे इजरायल का बड़ा कदम माना जा रहा है। ईरान ने कहा कि हमले के बाद किसी तरह का परमाणु विकिरण नहीं हुआ है।
आइए जानते हैं ये कितना अहम है।
संयंत्र
क्या है अराक हेवी वाटर परमाणु संयंत्र?
अराक संयंत्र ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 190 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। ईरान ने 2000 के दशक में अपने व्यापक परमाणु कार्यक्रम के रूप में इसका निर्माण किया था।
ईरान पर लगे प्रतिबंधों के बाद इसका निर्माण रुक गया था। 2015 में पश्चिमी देशों के साथ हुई संधि के बाद ईरान ने फिर से संयंत्र का काम शुरू किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल इसे शुरू करने की तैयारी थी।
निर्माण
ईरान ने संयंत्र का निर्माण कैसे किया?
2000 के दशक में गुप्त रूप से ईरान ने इसका निर्माण शुरू किया था।
2015 में हुई संधि में ईरान ने वादा किया था कि वह इस संयंत्र को इस तरह से बदलेगा, जिससे हथियार बनाने की संभावना कम हो। इस काम में ब्रिटेन ईरान की मदद कर रहा था, लेकिन 2018 में अमेरिका ने इस संधि से खुद को अलग कर लिया।
इसके बाद 2019 में ईरान ने संयंत्र के दूसरे चरण का काम शुरू किया।
कार्य
यहां क्या काम करता है ईरान?
इस संयंत्र में एक हेवी वाटर उत्पादन संयंत्र और IR-40 रिएक्टर है। प्रारंभिक तौर पर इसकी तापीय क्षमता 40 मेगावॉट थी।
बता दें कि हेवी वाटर सामान्य पानी की तुलना में भारी होता है और इसका क्वथनांक भी ज्यादा होता है। ये परमाणु रिएक्टरों को ठंडा रखने में मदद करता है।
ये न्यूट्रॉन को धीमा कर परमाणु विखंडन को आसान बनाता है। इसके अलावा कई तरह के अनुसंधानों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
नष्ट
इजरायल ने संयंत्र पर हमला क्यों किया?
हेवी वाटर का इस्तेमाल रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है, लेकिन इससे प्लूटोनियम भी बनता है, जिसे परमाणु हथियारों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इजरायल समेत पश्चिमी देशों का मानना है कि ईरान यहां पर परमाणु बमों के लिए प्लूटोनियम विकसित कर रहा है।
बता दें कि यूरेनियम के अलावा प्लूटोनियम से भी परमाणु बम बनाया जा सकता है। कई देशों ने प्लूटोनियम से परमाणु बम विकसित किए हैं।