
यूक्रेन ने रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे चीनी सैनिकों को मीडिया के सामने पेश किया
क्या है खबर?
यूक्रेन ने कई बार दावा किया है कि चीन के सैनिक रूस की तरफ से उसके खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। हालांकि, चीन हमेशा से इन आरोपों को नकारता रहा है।
अब यूक्रेन ने इन आरोपों को सही साबित करने के लिए रूस की तरफ से जंग लड़ रहे 2 चीनी सैनिकों की मीडिया के सामने पेश किया। इस दौरान दोनों की परेड कराई गई और उन्होंने मीडिया को बयान भी दिए।
बयान
क्या बोले चीनी सैनिक?
CNN के मुताबिक, एक सैनिक ने बताया कि नौकरी जाने के बाद उसे रूस में हर महीने 3,000 डॉलर (करीब 2.5 लाख रुपये) कमाई का लालच दिया गया। उसे चिकित्सा काम का वादा किया गया, लेकिन मॉस्को पहुंचते ही हथियार थमा दिए गए।
सैनिक ने कहा कि उन्होंने रूस से अनुबंध किया था। इसके तहत, उन्हें युद्ध में भाग लेने, आपात स्थितियों और मार्शल लॉ के दौरान कर्तव्यों को पूरा करने समेत कई कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध किया गया था।
बयान
चीन ने कहा- ये अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
चीन ने कहा कि युद्ध बंदियों की पहचान उजागर करना और उन्हें मीडिया के सामने पेश कराना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, "चीन यूक्रेन संकट का सूत्रधार नहीं है, न ही भागीदार है। चीनी सरकार ने हमेशा अपने नागरिकों को जंग वाले इलाके से दूर रहने और किसी भी तरह से ऐसी लड़ाई में शामिल होने से बचने को कहा है।"
चीन ने कहा कि वो मामले पर और जानकारी हासिल कर रहा है।
यूक्रेन
यूक्रेन का दावा- 155 चीनी सैनिकों की पहचान की
हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने दावा किया था कि 150 से ज्यादा चीनी सैनिक रूस की तरफ से यूक्रेन में लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि ऐसे सभी लोगों के नाम और पासपोर्ट की जानकारी उनके पास है।
जेलेंस्की ने ये भी दावा किया था कि रूस सोशल मीडिया के जरिए चीनी नागरिकों की भर्ती कर रहा है और चीन को भी इस बात की जानकारी है।
बयान
जेलेंस्की बोले- चीन को युद्ध में खींच रहा रूस
जेलेंस्की ने कहा, "रूस चीन को इस जंग में खींच रहा है। यह व्लादिमीर पुतिन की योजना है। पुतिन चाहते हैं कि यूरोप में जंग फैले।"
जेलेंस्की ने दावा किया कि वे रूस में बंदी बनाए गए यूक्रेनी सैनिकों के बदले 2 चीनी सैनिकों की रिहाई को तैयार हैं।
बता दें इससे पहले भी रूस-यूक्रेन युद्ध में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी के दावे किए जाते रहे हैं। भारत के भी कई नागरिक धोखे से जंग में धकेल दिए गए थे।