
नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शन में 2 की मौत, 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
क्या है खबर?
नेपाल में राजशाही की मांग को लेकर बीते दिन हुए हिंसक प्रदर्शन में 2 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 35 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में एक पत्रकार शामिल है।
हिंसा के बाद राजधानी काठमांडू के पूर्वी हिस्से में लगाए गए कर्फ्यू को आज हटा लिया गया है।
वहीं, पुलिस ने हिंसा भड़काने, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और आगजनी के आरोप में 105 लोगों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तारी
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के कई नेता भी गिरफ्तार
गिरफ्तार किए गए लोगों में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के महासचिव धवल शमशेर राणा और पार्टी के केंद्रीय सदस्य रवींद्र मिश्रा भी शामिल हैं।
इसके अलावा स्वागत नेपाल, शेफर्ड लिंबू और संतोष तमांग जैसे राजशाही का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता को भी गिरफ्तार किया गया है।
वहीं, आंदोलन के संयोजक दुर्गा प्रसाद की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस ने बताया कि प्रसाद अभी तक गिरफ्त से बाहर हैं।
नुकसान
प्रदर्शनों में नुकसान के बारे में पुलिस ने दी जानकारी
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में 53 पुलिसकर्मी, 22 सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य और 35 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।
प्रदर्शन के दौरान 14 इमारतों में आग लगाई गई और 9 को नुकसान पहुंचाया गया। 9 सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और 6 निजी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया।
प्रदर्शनकारियों ने तिंकुने क्षेत्र में कांतिपुर टेलीविजन भवन और अन्नपूर्णा मीडिया हाउस पर भी हमला किया।
प्रदर्शन
कैसे हिंसक हुआ था प्रदर्शन?
शुक्रवार को राजशाही समर्थक कई संगठनों ने काठमांडू में शक्ति प्रदर्शन किया था।
यह प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब आंदोलन के संयोजक प्रसाद ने अपने बुलेटप्रूफ वाहन से सुरक्षा बैरिकेड तोड़ दिया और संसद भवन की ओर बढ़ने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे भीड़ बेकाबू होती गई और प्रदर्शन हिंसक हो गया।
इस दौरान पुलिस ने आंसू गैसे के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। हालात बिगड़ने पर कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया।
वजह
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
प्रदर्शनकारी नेपाल में राजतंत्रवादी राजतंत्र की बहाली और हिंदू राज्य की मांग कर रहे हैं। बीते कई दिनों से इसे लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। माना जा रहा है कि इन प्रदर्शनों को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह का समर्थन प्राप्त है।
वहीं, ये भी दावा किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार, अर्थव्यवस्था और लगातार बदलती सत्ता से नेपाल के लोग तंग आ चुके हैं, इसलिए राजशाही की मांग जोर पकड़ने लगी है।
राजशाही
नेपाल में राजशाही का इतिहास भी जान लीजिए
नेपाल में 2006 से पहले राजशाही थी। आखिरी राजा ज्ञानेंद्र ने 2005 में संविधान को निलंबित कर दिया और संसद को भंग कर दिया था। इससे वहां लोकतांत्रिक विद्रोह शुरू हो गया।
आखिरकार 2008 में नेपाली संसद ने नेपाल को राजशाही से लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया। इसी के साथ नेपाल में चली आ रही 240 साल पुरानी राजशाही खत्म हो गई।
हालांकि, इसके बाद बीते 16 साल में नेपाल में 14 सरकारें बनी हैं।