
कौन हैं नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे कुलमान घीसिंग?
क्या है खबर?
नेपाल में सामान्य होते हालात के बीच अंतरिम सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदर्शनकारियों और अधिकारियों के बीच सेना के मुख्यालय में दूसरे दिन बैठक जारी है। कहा जा रहा है कि इसमें प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए कुलमान घीसिंग का नाम आगे किया है। इससे पहले नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की रेस में आगे चल रही थीं। खबर है कि उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।
लाइटमेन
नेपाल के 'लाइटमेन' कहे जाते हैं घीसिंग
घीसिंग को नेपाल का 'लाइटमेन' कहा जाता है। ये उपाधि उन्हें बिजली कटौती की समस्या को खत्म करने के चलते मिली। दैनिक भास्कर के मुताबिक, 2016 में वे नेपाल विद्युत प्राधिकरण के निदेशक बने और 2 साल के भीतर ही बिजली समस्या को खत्म कर दिया। इसी वजह से लोग उन्हें 'उज्यालो नेपाल का अभियंता' यानी नेपाल को रोशनी की राह दिखाने वाला भी कहते हैं। उनके कार्यकाल में पहली बार विद्युत प्राधिकरण घाटे से निकलकर मुनाफा कमाने लगा।
परिचय
कौन हैं घीसिंग?
घीसिंग का जन्म 25 नवंबर, 1970 को नेपाल के बेथान में हुआ था। नेपाल की सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जमशेदपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1994 में वे बिजली विभाग में काम करने लगे। यहां उन्होंने विभाग को घाटे से निकाला, बिजली चोरी रोकने के लिए कदम उठाए और विभाग में कई अहम परिवर्तन किए। उन्हें नेपाल में एक इमानदार अधिकारी के तौर पर जाना जाता है।
विरोध
निवर्तमान प्रधानमंत्री ओली से हुआ था घीसिंग का विवाद
पिछले साल घीसिंग का उर्जा विभाग में प्रबंध निदेशक रहते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से विवाद हो गया था। इसके बाद ओली ने घीसिंग को कार्यकारी निदेशक पद से हटा दिया था, जबकि उनका कार्यकाल अगस्त में खत्म हो रहा था। ओली ने घीसिंग की जगह हितेंद्र देव शाक्य को नियुक्त किया था। इस मामले में ओली सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। विपक्षी पार्टियों से लेकर सामाजिक संगठनों ने इस कदम का विरोध किया था।
सुशीला कार्की
सुशीला कार्की के नाम पर क्यों नहीं बन पाई सहमति?
प्रदर्शनकारियों के एक गुट का कहना है कि संविधान पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को प्रधानमंत्री बनने से रोकता है, इसलिए कार्की रेस से बाहर हैं। एक अन्य गुट ने कार्की की उम्र को लेकर भी असहमति जताई है। इसका कहना है कि कार्की की उम्र 70 साल से ज्यादा हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर जेन जी प्रदर्शनकारियों में असहमति भी सामने आई है। प्रदर्शनकारियों का एक गुट सेना मुख्यालय में बैठक किए जाने का भी विरोध कर रहा है।
हालात
नेपाल में अब कैसे हैं हालात?
नेपाल में हिंसा के बाद धीरे-धीरे हालात काबू में आ रहे हैं। हालांकि, सेना ने राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में ऐहतियात के तौर पर कर्फ्यू लगा रखा है। हालात का फायदा उठाकर 1,500 से ज्यादा कैदी जेलों से भाग गए हैं। इनमें से 60 को भारतीय सुरक्षाबलों ने सीमा के नजदीक पकड़ा है। हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 31 हो गया है और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।