NATO में शामिल हुआ फिनलैंड, यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को झटका
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फिनलैंड मंगलवार को आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल हो गया है। फिनलैंड इस सैन्य संगठन में शामिल होने वाला 31वां देश है। उसका NATO में शामिल होना रूस के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर NATO फिनलैंड में सैन्य ताकत बढ़ाएगा तो वह भी उसकी सीमा के पास मजबूत सैन्य तैनाती करेगा।
क्या है NATO?
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 31 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाता है।
NATO के मुख्यालय में फहराया गया फिनलैंड का झंडा
NATO के ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय के बाहर अन्य सदस्य देशों के ध्वज के साथ फिनलैंड का नीला और सफेद रंग का ध्वज फहराया गया। इस दौरान फिनलैंड के विदेश मंत्री पक्का हाविस्टो ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को आधिकारिक दस्तावेज सौंपकर सदस्यता की प्रक्रिया पूरी की। इस दौरान फिनलैंड के विदेश मंत्री ने कहा, "यह फिनलैंड के लिए ऐतिहासिक दिन है और वह NATO के सभी सदस्य देशों के सहयोग के लिए उनका शुक्रिया अदा करता है।"
फिनलैंड के सदस्य बनने पर NATO के महासचिव ने क्या कहा?
NATO के महासचिव स्टोल्टेनबर्ग ने फिनलैंड का 31वें राष्ट्र के रूप में सैन्य गठबंधन में स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने NATO का विस्तार रोकने के लिए पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था, लेकिन वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हुए। उन्होंने कहा, "आज इसका ठीक विपरीत हो रहा है। फिनलैंड के बाद जल्द ही अब स्वीडन भी सैन्य गठबंधन का पूर्ण सदस्य बन जाएगा।"
स्वीडन को क्यों नहीं मिली सदस्यता?
मई, 2022 में फिनलैंड के साथ स्वीडन ने भी NATO की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। दोनों देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ही यह आवेदन किया था। माना जा रहा था कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों एक साथ NATO में शामिल हो जाएंगे, लेकिन हंगरी और तुर्की ने स्वीडन को रोक रखा है। दरअसल, NATO के सभी सदस्यों को नए सदस्य के शामिल होने पर सहमति देनी होती है।
फिनलैंड के शामिल होने का क्या असर होगा?
फिनलैंड की 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा रूस से लगती है और उसके NATO में जाने के बाद रूस से सटी सैन्य गठबंधन की सीमा लगभग दोगुनी हो गई है। रूस 14 देशों के सीमा साझा करता है और उसमें से छह (लातविया, एस्तोनिया, लिथुआनिया पोलैंड, नॉर्वे और फिनलैंड) NATO के सदस्य बन गए हैं। राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने फिनलैंड के NATO में शामिल होने पर कहा कि यह रूसी सुरक्षा पर अतिक्रमण है।