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    NATO में शामिल होने की तरफ कदम बढ़ा रहे फिनलैंड और स्वीडन, रूस नाखुश

    NATO में शामिल होने की तरफ कदम बढ़ा रहे फिनलैंड और स्वीडन, रूस नाखुश
    लेखन प्रमोद कुमार
    Apr 13, 2022, 04:51 pm 1 मिनट में पढ़ें
    NATO में शामिल होने की तरफ कदम बढ़ा रहे फिनलैंड और स्वीडन, रूस नाखुश
    NATO में शामिल होने की तरफ कदम बढ़ा रहे फिनलैंड और स्वीडन

    अभी तक किसी भी गुट में शामिल नहीं रहे फिनलैंड और स्वीडन ने अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन NATO (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) में शामिल होने की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए हैं। दरअसल, यूक्रेन युद्ध के बाद दोनों देशों के जनमत में बदलाव आया है और NATO सदस्य भी इन दोनों को गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में नजर आ रहे हैं। हालांकि, रूस इस कदम को लेकर खुश नहीं है और उसने चेतावनी दी है।

    इसी हफ्ते आएगी फिनलैंड की सुरक्षा नीति की रिपोर्ट

    CNN के मुताबिक, फिनलैंड इसी सप्ताह देश की सुरक्षा नीति पर एक रिपोर्ट जारी करेगी। NATO की सदस्यता का आवेदन करने की दिशा में यह बड़ा कदम है। इस रिपोर्ट के बाद देश की संसद में इस पर विचार शुरू होगा कि क्या फिनलैंड को NATO की सदस्यता लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री सना मरीन ने उम्मीद जताई है कि गर्मियों के मध्य तक ये चर्चा संपन्न हो जाएगी। बता दें कि फिनलैंड स्वीडन के साथ अपनी सीमा साझा करता है।

    फिनलैंड को उम्मीद- दोनों देश एक जैसा फैसला लेंगे

    फिनलैंड के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका पड़ोसी देश स्वीडन भी ऐसी प्रक्रिया शुरू कर रहा है, जिसमें थोड़ा समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देश सूचनाएं साझा करेंगे और उम्मीद है कि दोनों एक साथ एक जैसा फैसला करेंगे।

    स्वीडन में क्या तैयारी चल रही है?

    स्वीडन में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार के दौरान NATO की सदस्यता प्रमुख मुद्दा रहेगा और विपक्षी पार्टियां भी स्वीडन के इस गठबंधन में शामिल होने के खिलाफ नहीं हैं। स्वीडिश प्रधानमंत्री मग्डालेना एंडरसन ने कहा कि मई तक देश की सुरक्षा नीति की समीक्षा हो जाएगी और इसके बाद सरकार अपने अगले कदम का ऐलान करेगी। खबर है कि स्वीडन ने NATO की सदस्यता के लिए आवेदन करने का फैसला कर लिया है।

    हंगरी कर सकता है विरोध

    बताया जा रहा है कि NATO के 30 सदस्यों में से केवल हंगरी फिनलैंड और स्वीडन को गठबंधन में शामिल करने का विरोध कर सकता है। दरअसल, हंगरी के प्रधानमंत्री रूस के ज्यादा करीब है, लेकिन NATO को उम्मीद है कि उन्हें मना लिया जाएगा।

    NATO ने कहा- अंतिम फैसला फिनलैंड और स्वीडन का

    NATO की सैन्य समिति के प्रमुख रॉब बयूएर ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं है, लेकिन यह फैसला फिनलैंड और स्वीडन को करना है कि वो शामिल होना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश का स्वतंत्र फैसला होता है कि वह NATO में शामिल होने के लिए सदस्यता का आवेदन करे। किसी को गठबंधन में शामिल करने के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा।

    यूरोप में स्थिरता नहीं लाएगा NATO का विस्तार- रूस

    फिनलैंड और स्वीडन के NATO की तरफ झुकाव पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि NATO का विस्तार यूरोप में स्थिरता नहीं लाएगा। यह गठबंधन अपने आप में संघर्ष का एक औजार है। यह ऐसा गठबंधन नहीं है, जो शांति और सुरक्षा लाता है। बता दें, रूस लगातार NATO के विस्तार का विरोध कर रहा है और उसने कई मौकों पर कहा है कि NATO को नए देशों को शामिल नहीं करना चाहिए।

    NATO क्या है?

    NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 30 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा।

    रूस NATO से चिढ़ता क्यों है?

    दरअसल, NATO का गठन रूस (तब सोवियत संघ) को देखते हुए ही किया गया था और इसका सबसे प्रमुख लक्ष्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। जिस समय NATO का गठन हुआ, वो शीत युद्ध की शुरूआत का समय था और दुनिया अमेरिका और सोवियंत के दो धड़ों में बंटी हुई थी। NATO के तहत सोवियत संघ के आसपास कई सैन्य ठिकाने बनाए गए जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते थे।

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