
ब्रिटेन की अवैध प्रवासियों पर सख्ती से 20,000 भारतीयों पर मंडराया खतरा, जानिए कैसे
क्या है खबर?
यूनाइटेड किंगडम (UK) सरकार ने अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने को लेकर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन की गृह सचिव शबाना महमूद ने स्पष्ट किया है कि अवैध प्रवासियों को वापस लेने से इनकार करने या देरी करने वाले देशों के खिलाफ वीजा प्रतिबंध या कम वीजा नीति जैसे सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस चेतावनी के बाद ब्रिटेन में बिना अनुमति के रह रहे 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों के भविष्य पर खतरा मंडराना शुरू हो गया है।
संख्या
ब्रिटेन में बिना वीजा रहने वालों में भारतीयों की संख्या सर्वाधिक
रिपोर्ट के अनुसार, वीजा अवधि से अधिक समय तक रहने वालों की सूची में भारत सबसे ऊपर है। भारत ने निर्वासितों की सूची में शामिल 20,706 भारतीय नागरिकों को वापस नहीं लिया है। इसी तरह पाकिस्तान ने कई विदेशी अपराधियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, जिनमें रोशडेल ग्रूमिंग गिरोह के सरगना और ब्रिटिश-पाकिस्तानी दोहरी नागरिकता वाले कारी अब्दुल रऊफ और आदिल खान भी शामिल हैं। इसके अलावा, सूची में तीसरा बड़ा देश नाइजीरिया है।
वापसी
साल 2024 में ब्रिटेन से वापस आए थे 7,395 नागरिक
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और ब्रिटेन ने बीच हुए हुए एक समझौते के तहत साल 2024 में भारत ने ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे 7,395 नागरिकों को वापस बुलाया था। यह ब्रिटेन से वापस लौटने वाले अवैध प्रवासियों को सबसे बड़ी संख्या थी। हालांकि, उसके बाद भी 20,706 अवैध प्रवासी ब्रिटेन में बचे हुए हैं। ब्रिटिश अधिकारियों का आरोप है कि भारत सरकार बिना पासपोर्ट वाले निर्वासितों के लिए आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी करने में देरी करती है।
सख्ती
ब्रिटेन ने अवैध प्रवासियों के निर्वासन के लिए उठाया सख्त कदम
ब्रिटेन में पिछले सप्ताह गृह सचिव का कार्यभार संभालने वाली शबाना ने कहा, "अगर किसी को ब्रिटेन में रहने का कानूनी अधिकार नहीं है, तो उन्हें देश छोड़ना होगा। अगर कोई देश अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार या देरी करेगा, तो हम जवाबी कदम उठाएंगे। इसमें वीजा कटौती या वीजा प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं।" उन्होंने कहा, "हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।"
कारण
ब्रिटेन ने अवैध प्रवासियों के प्रति क्यों सख्त किया रुख?
गृह सचिव शबाना ने गत दिनों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के मंत्रियों के साथ फाइव आइज नाम के खुफिया जानकारी साझा करने वाले समूह की बैठक की मेजबानी की थी। उसमें अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी प्रमुख क्रिस्टी नोएम भी शामिल थी। नोएम ने अमेरिका के सामूहिक निर्वासन की देखरेख की है। बैठक में शामिल देशों ने अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए दबाव डालने के सिद्धांतों पर सहमति जताते हुए सख्ती बरतने की बात कही थी।
परिणाम
ब्रिटेन की इस सख्ती के क्या होंगे परिणाम?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवासन वेधशाला के डॉ पीटर वॉल्श ने कहा कि ब्रिटेन की सख्ती से उसके भारत जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है। भारत विशेष रूप से इस तरह की धमकियों से जुड़ी सौदेबाजी की रणनीति को लेकर उदासीन है। उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे लंबे संबंध हैं और उन्होंने हमारी वीजा प्रणाली तक विशेषाधिकार पहुंच के लिए ब्रिटिश सरकार से लगातार पैरवी की है। यह सख्ती संबंध बिगाड़ सकती है।"
परेशानी
ब्रिटेन में भारतीय अवैध प्रवासियों को क्या होगी परेशानी?
ब्रिटेन की इस नीति के तहत अगर भारत सरकार वहां अवैध रूप से रहने वाले अपने नागरिकों को वापस नहीं लेती है तो उन्हें वीजा नियमों के उल्लंघन के तहत सजा दी जाएगी और उसके बाद जेल में डाल दिया जाएगा। इससे उनका बचा हुआ जीवन जेल में ही गुजरेगा। इसके साथ ही उनकी ब्रिटेन में मौजूद संपत्तियों पर भी सरकार अपना कब्जा कर लेगी। ऐसे में यह नीति अवैध प्रवासियों के लिए बड़ी परेशानी वाली होगी।
पृष्ठभूमि
ब्रिटेन का भारत को 'पहले निर्वासन, बाद में अपील' वाले देशों की सूची में डाला
इससे पहले 11 अगस्त को ब्रिटेन सरकार ने भारत को बड़ा झटका देते हुए उसे अपनी 'पहले निर्वासन, बाद में अपील' सूची में डाल दिया था। इस सूची में कुल 23 देश हैं। सूची में शामिल देशों का कोई भी नागरिक ब्रिटेन में किसी अपराध का दोषी पाया जाएगा तो उसे पहले निर्वासित किया जाएगा और बाद में अपील का मौका मिलेगा। पूर्व में विदेशी नागरिक अपील करके निर्वासित होने से बच जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।