
बांग्लादेश: 1971 से जुड़ी पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की मूर्तियां तोड़ी गई? सामने आई सच्चाई
क्या है खबर?
बांग्लादेश में हिंसा के बीच सत्ता परिवर्तन के बाद हिंसक घटनाएं अब भी सामने आ रही हैं। इसी बीच सोमवार को सोशल मीडिया पर उपद्रवियों द्वारा राष्ट्रीय स्मारकों को निशाना बनाने की खबर सामने आई।
इस पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी 2 तस्वीरें एक्स पर साझा कर लिखा कि मुजीबनगर में 1971 की याद में बने शहीद मेमोरियल स्थल में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण वाली मूर्तियों को तोड़ दिया गया है।
अब सामने आया कि मूर्तियां टूटी नहीं हैं।
दुख
क्या है मूर्ति तोड़े जाने की सच्चाई?
शशि थरूर ने घटना पर दुख जताते हुए लिखा, '1971 में मुजीबनगर में शहीद स्मारक परिसर में स्थित मूर्तियों को भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट किए जाने की ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। कुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है। ऐसी अराजकता माफ नहीं की जा सकती।'
इस पर एक पत्रकार नीरज राजपूत ने बताया जिन मूर्तियों को टूटा हुआ बताया गया वो किसी और स्मारक की हैं। ये मुर्तिया भी टूटी हुई नहीं, बल्कि इसी तरीके से बनी हैं।
ट्विटर पोस्ट
बांग्लादेश में तोड़ी गई मूर्तियां
Statues depicting the bravery of the Indian Armed Forces during the liberation of Bangladesh in 1971 have been destroyed at the Mujibnagar Memorial Monument in Bangladesh. pic.twitter.com/Md3Nm4iwBv
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 12, 2024
ट्विटर पोस्ट
मूर्तियों की सामने आई सच्चाई
Warning ⚡️: Don’t fell into trap of fake narrative. The ‘71 war sculptor memorial at #Mujibnagar in Khulna distt of #Bangladesh depicts people/statues lying as can be seen in my ‘18 tweet. Those are not destroyed statues. Many journalists, veterans and ex ministers are sharing… pic.twitter.com/N84U2ASYk5
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) August 12, 2024
स्मारक
स्मारक का क्या है महत्व?
वर्ष 1971 में भारत की मदद से बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली और एक नया मुल्क बना। उस समय 16 दिसंबर, 1971 को एक तस्वीर ली गई, जिसमें पाकिस्तानी सेना के आधिकारी आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
तस्वीर में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के मेजर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी पूर्वी कमान के तत्कालीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण करते दिख रहे हैं।
स्मारक में इसी तस्वीर को मूर्तियों के रूप में दर्शाया गया था।
जानकारी
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण
1971 में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी मानते हैं क्योंकि इस दौरान पाकिस्तान ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।